
भारतीय रिजर्व बैंक-RBI की सख्ती ने अप्रैल 2025 में देश के बैंकिंग सिस्टम में हलचल मचा दी है। इस महीने RBI ने कई बैंकों पर कार्रवाई करते हुए जहां चार सहकारी बैंकों का लाइसेंस रद्द कर दिया, वहीं आठ बैंकों पर जुर्माना लगाया है। बैंकों के कामकाज में पारदर्शिता बनाए रखने और ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए यह कदम उठाए गए हैं। इन कार्रवाइयों ने जहां नियामकीय व्यवस्था की ताकत को उजागर किया है, वहीं आम ग्राहकों के बीच सुरक्षा और भरोसे को भी मजबूती दी है।
लाइसेंस रद्द होने वाले बैंक और उनकी स्थिति
RBI ने जिन चार बैंकों के लाइसेंस रद्द किए हैं, उनमें अंजना अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक (औरंगाबाद, महाराष्ट्र), कलर मर्चेंट्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (अहमदाबाद, गुजरात), इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (जालंधर) और शंकरराव मोहिते पाटिल सहकारी बैंक लिमिटेड (अकलुज, महाराष्ट्र) शामिल हैं। इन बैंकों की पूंजी और आय सृजन की स्थिति इतनी कमजोर हो चुकी थी कि वे अब मौजूदा जमाकर्ताओं की राशि भी लौटा पाने की स्थिति में नहीं थे।
RBI ने स्पष्ट किया कि इन बैंकों का चालू रहना उनके ग्राहकों के हितों के लिए हानिकारक हो सकता था, इसलिए नियमानुसार लाइसेंस रद्द करना आवश्यक हो गया। हालांकि, जमाकर्ता DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) के माध्यम से अधिकतम ₹5 लाख तक की बीमा राशि का दावा कर सकते हैं।
जुर्माना झेलने वाले बैंक: लापरवाही की कीमत
इसके अलावा, RBI ने आठ बैंकों पर नियामकीय नियमों के उल्लंघन के कारण जुर्माना लगाया है। इनमें सिटीबैंक एन.ए, पंजाब नेशनल बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक लिमिटेड, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक, आर्यावर्त बैंक (लखनऊ), और श्री गणेश सहकारी बैंक लिमिटेड (नासिक) शामिल हैं।
इन बैंकों पर कार्रवाई मुख्यतः KYC (Know Your Customer) दिशानिर्देशों, समयबद्ध अनुपालन में विफलता, और रिपोर्टिंग में लापरवाही के लिए की गई है। हालांकि, RBI ने यह भी स्पष्ट किया कि इन जुर्मानों का असर ग्राहकों के साथ चल रहे बैंकिंग लेनदेन पर नहीं पड़ेगा।