
Gold Price Today की बात करें तो हाल ही में सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली, जिसने इसकी डिमांड को अप्रत्याशित रूप से प्रभावित किया है। वैश्विक तनावों और आर्थिक अनिश्चितता के चलते सोना एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इसकी कीमत ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंचने के बाद आम खरीदार इससे थोड़ा दूर हो गया है। इस उछाल का असर सिर्फ रोज़मर्रा की खरीदारी पर नहीं, बल्कि परंपरागत पर्वों जैसे अक्षय तृतीया पर भी देखा गया, जहां उम्मीद के अनुसार बिक्री नहीं हो सकी।
2025 की पहली तिमाही में 15% गिर गई भारत में सोने की मांग
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, जनवरी-मार्च 2025 के दौरान भारत में सोने की मांग 15% घटकर 118.1 टन रह गई, जबकि इसी अवधि में इसकी कुल वैल्यू 22% बढ़कर ₹94,030 करोड़ पहुंच गई। यह विरोधाभास दिखाता है कि Gold Price Today का सीधा असर उपभोक्ता की परचेजिंग पावर पर पड़ रहा है। जनवरी से अप्रैल के बीच कीमतों में करीब 25% की उछाल देखी गई, जिससे 10 ग्राम सोना ₹1 लाख के आंकड़े के करीब पहुंच गया।
700-800 टन के बीच रह सकती है साल 2025 की कुल डिमांड
WGC के अनुमान के अनुसार, साल 2025 में भारत में सोने की कुल मांग 700 से 800 टन के बीच रह सकती है। भले ही कीमतें उच्च स्तर पर बनी हुई हैं, फिर भी शादियों और धार्मिक अवसरों पर सोने की खरीदारी का चलन कमजोर नहीं पड़ा है। WGC इंडिया के सीईओ सचिन जैन का मानना है कि कीमतें अधिक होने के बावजूद सोने की सांस्कृतिक और पारंपरिक अहमियत इसे लोगों की पहली पसंद बनाए रखती है। खासतौर पर Akshaya Tritiya जैसे अवसर पर लोग इसे शुभ मानते हैं और खरीदारी से नहीं चूकते।
विश्वसनीय निवेश के रूप में Gold की पहचान बरकरार
जानकारों का कहना है कि भले ही ऊंची कीमतों ने कुछ ग्राहकों को सतर्क कर दिया हो, लेकिन Gold Investment के तौर पर इसकी विश्वसनीयता में कोई कमी नहीं आई है। यही कारण है कि गहनों की मांग में गिरावट आई है, लेकिन निवेश के लिए सोने की खरीदारी में बढ़ोतरी देखने को मिली है। जनवरी-मार्च तिमाही में ज्वेलरी की मांग 25% घटकर 71.4 टन रह गई, जो 2020 के बाद सबसे कम है, पर उसकी कीमतें 3% अधिक रहीं।
Gold Investment में 7% की बढ़ोतरी, सिक्के और सिल्लियों की मांग में तेजी
जहां एक ओर गहनों की बिक्री में गिरावट आई, वहीं निवेश के लिहाज से Gold Coins and Bars की डिमांड 7% बढ़कर 46.7 टन हो गई है। यह पिछले साल के 43.6 टन की तुलना में स्पष्ट वृद्धि है। इस वृद्धि के पीछे एक बड़ा कारण है कि फाइनेंशियल मार्केट में जारी अनिश्चितता ने सोने को सुरक्षित विकल्प बना दिया है। इसी अवधि में भारत का सोने का आयात 8% बढ़कर 167.4 टन पहुंच गया, जबकि रीसाइक्लिंग में 32% की गिरावट दर्ज की गई क्योंकि लोग अपने पुराने गहने या सोने को अभी बेचने से कतरा रहे हैं।
ग्लोबल लेवल पर भी सोने की मांग में इजाफा
भारत में भले ही Gold Demand में गिरावट देखने को मिली हो, लेकिन वैश्विक स्तर पर सोने की मांग जनवरी-मार्च 2025 में 1% बढ़कर 1,206 टन हो गई है। यह 2019 के बाद की किसी पहली तिमाही में सबसे अधिक मांग है, जो इस बात का संकेत है कि सोने की उपयोगिता और इसकी अहमियत अब भी वैश्विक निवेशकों के बीच बनी हुई है।