अब मानने होंगे ये नए सरकारी नियम, पेट्रोल पंप खोलना हुआ मुश्किल! CPCB ने जारी कीये नए नियम

CPCB ने पेट्रोल पंप खोलने के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब जरूरी होंगे वाष्प रिकवरी सिस्टम, पर्यावरणीय डेटा रिपोर्ट, और सार्वजनिक बीमा पॉलिसी। एनजीटी के आदेश के बाद आई ये नई गाइडलाइन दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश में लागू होगी। जानिए कौन-कौन से सख्त नियम बनाए गए हैं जो हर पेट्रोल पंप को मानने होंगे

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अब मानने होंगे ये नए सरकारी नियम, पेट्रोल पंप खोलना हुआ मुश्किल! CPCB ने जारी कीये नए नियम
अब मानने होंगे ये नए सरकारी नियम, पेट्रोल पंप खोलना हुआ मुश्किल! CPCB ने जारी कीये नए नियम

नई दिल्ली। पेट्रोल पंपों (Petrol Pump) की स्थापना को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने अब एक स्पष्ट और कठोर मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure-SOP) जारी कर दी है। यह SOP देशभर में लागू होगी और विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इसे तत्काल प्रभाव से अपनाना अनिवार्य होगा। यह कदम राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश के अनुपालन में उठाया गया है। पेट्रोल पंपों को अब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या समिति से अनिवार्य रूप से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना होगा। इसके बिना कोई भी नया पेट्रोल पंप शुरू नहीं किया जा सकेगा।

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पेट्रोल पंप खोलने के पहले जरूरी होंगे कई पर्यावरणीय कदम

नई गाइडलाइन के तहत, पेट्रोल पंप संचालकों को अपनी स्थापना से पहले जल, वायु और मृदा की गुणवत्ता का बेसलाइन डेटा (Baseline Data) तैयार करना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पेट्रोल पंप की गतिविधियों का पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। संचालन के दौरान इन मानकों की निगरानी की जाएगी ताकि आसपास के इकोसिस्टम और स्थानीय आबादी को सुरक्षित रखा जा सके।

बीमा पॉलिसी लेना अनिवार्य, अप्रत्याशित घटनाओं को कवर करेगी योजना

सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए CPCB ने यह भी स्पष्ट किया है कि पेट्रोल पंपों को 1991 के सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम (Public Liability Insurance Act, 1991) के अंतर्गत बीमा पॉलिसी लेनी होगी। यह बीमा पॉलिसी किसी भी आकस्मिक घटना, जैसे रिसाव या विस्फोट, के कारण होने वाले पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई के लिए जरूरी होगी।

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वाष्प रिकवरी और लीक डिटेक्शन सिस्टम होंगे अनिवार्य

SOP के अनुसार, सभी पेट्रोल पंपों में वाष्प पुनर्प्राप्ति प्रणाली (Vapor Recovery System) और लीक डिटेक्शन सिस्टम (Leak Detection System) की स्थापना अनिवार्य होगी। इससे वायुमंडलीय प्रदूषण को रोका जा सकेगा और किसी भी प्रकार के रिसाव की तुरंत पहचान कर कार्रवाई की जा सकेगी। इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि संचालकों को भी बड़ी दुर्घटनाओं से बचाव मिलेगा।

आपातकालीन स्थिति में 48 घंटे में देना होगा सूचना

पेट्रोल पंपों को आपातकालीन योजनाएं तैयार करनी होंगी जिनमें आग, विस्फोट और अन्य जोखिमों से निपटने के उपाय शामिल होंगे। इसके साथ-साथ फायर डिपार्टमेंट से एनओसी प्राप्त करना भी अनिवार्य कर दिया गया है। यदि कोई बड़ी दुर्घटना होती है तो संबंधित प्राधिकरण को 48 घंटे के भीतर सूचना देना अनिवार्य होगा।

पेट्रोल डिपो स्थापना के लिए चुना जाएगा सुरक्षित स्थान

CPCB के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी नए पेट्रोल डिपो (Petrol Depot) के लिए स्थान चयन के दौरान 250-300 मीटर की सुरक्षा दूरी (Safety Distance) रखना अनिवार्य होगा। डिपो किसी भी घनी आबादी या आवासीय क्षेत्र से दूर होना चाहिए ताकि किसी अप्रत्याशित घटना में जान-माल का नुकसान न हो।

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खतरनाक कचरा प्रबंधन नियमों का पालन होगा जरूरी

नए निर्देशों के अनुसार, सभी पेट्रोल पंपों को हानिकारक और खतरनाक अपशिष्ट (Hazardous Waste) को संग्रहित, उपचारित और निपटाने के लिए नियमों का पालन करना होगा। साथ ही उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि बरसाती पानी के नालों और प्राकृतिक जल स्रोतों में किसी भी तरह का प्रदूषण न फैले।

भूमिगत जल और मृदा की निगरानी होगी नियमित

CPCB की SOP के अनुसार, पेट्रोल डिपो के आसपास 50 मीटर तक की सीमा में जल और मृदा की गुणवत्ता की नियमित निगरानी (Regular Monitoring) की जाएगी। अगर प्रदूषण के कोई भी प्रमाण मिलते हैं तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। यह कदम जलस्रोतों और भूमिगत जल को पेट्रोलियम उत्पादों के रिसाव से बचाने के लिए बेहद जरूरी है।

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वायुमंडलीय प्रदूषण से बचाव के लिए तकनीकी उपाय

SOP यह भी स्पष्ट करती है कि पेट्रोल डिपो और पंपों के आसपास वायुमंडल को हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbon) और अन्य हानिकारक गैसों से मुक्त रखना होगा। इसके लिए बेंजीन, टोल्यून और जाइलिन जैसे वाष्पीय कार्बन का उत्सर्जन प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों के माध्यम से नियंत्रित किया जाएगा ताकि स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

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