
आईपीएल-IPL 2025 का सीजन जहां क्रिकेट के रोमांच और नई तकनीकों के प्रयोग के लिए चर्चा में है, वहीं एक रोबोट डॉग “चंपक” को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। BCCI द्वारा इस सीजन में मैदान पर उपयोग किए गए रोबोट डॉग का नाम ‘चंपक’ रखने पर अब मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। दरअसल, ‘चंपक’ नाम दिल्ली प्रेस ग्रुप की एक प्रसिद्ध बच्चों की पत्रिका का ट्रेडमार्क है, और इसी को लेकर अब बीसीसीआई को कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
क्यों हुआ रोबोट डॉग ‘चंपक’ पर विवाद?
इस सीजन में आईपीएल-IPL के मैचों के दौरान एक खास आकर्षण बना रोबोट डॉग “चंपक” मैदान पर कप्तानों के साथ नजर आ रहा है। यह रोबोट डॉग दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है और इसका उपयोग टॉस के समय भी किया जा रहा है। लेकिन इसकी लोकप्रियता के बीच BCCI के खिलाफ एक याचिका दायर कर दी गई है।
दिल्ली प्रेस ग्रुप, जो कि ‘चंपक’ नामक बाल-पत्रिका का प्रकाशन करता है, ने BCCI पर ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाया है। संस्था का कहना है कि चंपक नाम रोबोट डॉग को देना उनके पंजीकृत ट्रेडमार्क का उल्लंघन है और इससे उनकी पत्रिका की पहचान और ब्रांड वैल्यू को नुकसान पहुंचा है।
अदालत की प्रतिक्रिया और अगली सुनवाई की तारीख
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए BCCI को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को निर्धारित की गई है। दिल्ली प्रेस की ओर से पेश अधिवक्ता अमित गुप्ता ने अदालत में दलील दी कि “चंपक एक पंजीकृत ब्रांड है जो बच्चों के लिए जानवरों पर आधारित कहानियों के लिए प्रसिद्ध है।”
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उन्होंने कहा कि भले ही रोबोट डॉग एक अलग उत्पाद है, लेकिन उसका नाम चंपक रखना एक प्रकार का वाणिज्यिक शोषण है क्योंकि आईपीएल-IPL एक पूरी तरह से व्यावसायिक आयोजन है।
नामकरण प्रक्रिया भी बनी विवाद की वजह
अमित गुप्ता ने आगे बताया कि इस रोबोट डॉग का नाम 23 अप्रैल को सोशल मीडिया पर फैंस की वोटिंग के माध्यम से रखा गया था। उनके अनुसार, नामकरण प्रक्रिया भले ही सार्वजनिक हो, लेकिन इससे ट्रेडमार्क का उल्लंघन नहीं रुकता। यह बच्चों की पत्रिका के चरित्रों और उनके नाम की छवि को कमजोर करता है।
BCCI की सफाई
BCCI की ओर से पेश अधिवक्ता जे साई दीपक ने कोर्ट में कहा कि ‘चंपक’ सिर्फ एक पत्रिका का नाम नहीं बल्कि यह एक फूल का नाम भी है और आम भाषा में कई पात्रों और जगहों पर इसका प्रयोग होता है। उन्होंने तर्क दिया कि यह नाम किसी विशिष्ट पात्र या ब्रांड से नहीं जोड़ा गया है बल्कि एक आम शब्द है जिसे कोई भी प्रयोग कर सकता है।
विराट कोहली के ‘चीकू’ नाम पर भी उठे सवाल
दिलचस्प बात यह है कि इस विवाद में विराट कोहली का निकनेम ‘चीकू’ भी आ गया है। गुप्ता ने कहा कि अगर कोहली इस नाम का इस्तेमाल किसी उत्पाद के प्रमोशन में करते हैं तो यह भी वाणिज्यिक शोषण माना जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि कोहली ने अभी तक इस नाम से कोई उत्पाद लॉन्च नहीं किया है, इसलिए कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है।
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क्या इससे आईपीएल-IPL की छवि पर असर पड़ेगा?
इस विवाद का असर सीधे तौर पर आईपीएल-IPL की लोकप्रियता पर नहीं पड़ता, लेकिन यह दिखाता है कि आज के डिजिटल और व्यावसायिक दौर में नामों और ब्रांड की वैल्यू कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। इस तरह के कानूनी विवाद बड़े टूर्नामेंटों और संस्थाओं को उनके प्रचार में बाधा डाल सकते हैं, खासकर तब जब मामला ट्रेडमार्क से जुड़ा हो।
क्या BCCI को नाम बदलना पड़ेगा?
फिलहाल, इस बात का फैसला अदालत करेगी कि BCCI को रोबोट डॉग का नाम बदलना पड़ेगा या नहीं। लेकिन अगर कोर्ट दिल्ली प्रेस के पक्ष में फैसला देती है, तो बीसीसीआई को नाम बदलने के साथ-साथ मुआवज़ा भी देना पड़ सकता है। अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी, जिसमें इस विवाद की दिशा तय हो सकती है।