इस सरकारी स्कूल में हो रही एडमिशन की होड़! प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर आ रहे पैरेंट्स – वजह चौंका देगी

सरकारी स्कूल अब पीछे नहीं रहे, बल्कि शिक्षा और सुंदरता में निजी संस्थानों को मात दे रहे हैं। कासमपुर वीरू खालसा प्राथमिक विद्यालय इसका उदाहरण है, जहां टेक्नोलॉजी, गार्डन, खेलकूद और प्रेरक नेतृत्व ने शिक्षा का नया मानदंड स्थापित किया है। छात्रों की उपस्थिति, सोशल मीडिया लोकप्रियता और अभिभावकों का विश्वास इस बदलाव की कहानी बयां करता है।

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इस सरकारी स्कूल में हो रही एडमिशन की होड़! प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर आ रहे पैरेंट्स – वजह चौंका देगी
सरकारी स्कूल

जिले में सरकारी स्कूल अब केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि उत्कृष्टता और नवाचार का प्रतीक बनते जा रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय कासमपुर वीरू खालसा इसका जीवंत उदाहरण है, जहां शिक्षा की गुणवत्ता और सुंदर वातावरण ने निजी स्कूलों को भी पीछे छोड़ दिया है। प्रभारी प्रधानाध्यापक वैभव चौधरी की अगुवाई में यह विद्यालय आज एक प्रेरणास्रोत बन गया है। उनका कहना है कि विद्यालय के समग्र विकास और सकारात्मक माहौल को देखकर लगभग 20 अभिभावकों ने अपने बच्चों को निजी स्कूलों से निकालकर यहां दाखिला दिलाया है।

गुणवत्ता परक शिक्षा के प्रतीक बने सरकारी स्कूल

कासमपुर वीरू खालसा प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है। यहां स्मार्ट क्लास, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर सेट, और प्रिंटर जैसी आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग हो रहा है, जिससे छात्रों को इंटरएक्टिव और व्यावहारिक शिक्षा मिलती है। पढ़ाई के माहौल को रोचक बनाने के लिए तकनीकी साधनों का उपयोग एक नियमित प्रक्रिया बन चुका है। यही कारण है कि यहां छात्रों की उपस्थिति दर 95 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।

स्कूल का भव्य सुंदरीकरण बना आकर्षण का केंद्र

विद्यालय का परिसर मनमोहक है। शानदार गार्डन, रंग-बिरंगे फूल, और चमचमाती टाइल्स से सजा स्कूल किसी निजी संस्थान से कम नहीं लगता। छात्रों को एक स्वच्छ और प्रेरक वातावरण देने के लिए प्रबंधन की ओर से निरंतर प्रयास किए जाते हैं। यह सौंदर्यशास्त्रिक पहल विद्यार्थियों को मानसिक रूप से भी सकारात्मक बनाए रखने में सहायक है।

सर्वांगीण विकास के लिए खेलकूद और रचनात्मक गतिविधियां

शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए खेलकूद, संगीत, वाचन और लेखन जैसी गतिविधियां भी आवश्यक होती हैं। विद्यालय परिसर में झूले और खेल सामग्री बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में योगदान दे रहे हैं। यहां छात्र खेल के माध्यम से टीम भावना, अनुशासन और प्रतिस्पर्धा जैसी महत्वपूर्ण जीवन कौशल सीखते हैं।

सोशल मीडिया पर भी बनी पहचान

विद्यालय की लोकप्रियता केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है। फेसबुक पर 80,000 से अधिक फॉलोअर्स, यूट्यूब पर लगभग दो लाख दर्शक और X (पूर्व ट्विटर) पर करीब 10,000 फॉलोअर्स इस बात का प्रमाण हैं कि यह स्कूल अपनी सकारात्मक छवि को डिजिटल दुनिया में भी मजबूती से प्रस्तुत कर रहा है।

प्रेरणा बनता शिक्षकों का समर्पण और नेतृत्व

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेंद्र कुमार ने विद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां शैक्षिक गुणवत्ता, सौंदर्यीकरण और गतिविधियों का समावेश अनुकरणीय है। उनका कहना है कि अन्य सरकारी स्कूलों को इस विद्यालय से प्रेरणा लेनी चाहिए और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना चाहिए। प्रधानाध्यापक वैभव चौधरी का नेतृत्व और शिक्षकों का समर्पण ही इस बदलाव का मूल है।

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