
पेरासिटामोल, आइब्यूप्रोफेन और लिवोसिट्राजीन जैसी रोज़मर्रा की इस्तेमाल होने वाली दवाएं अब मेडिकल स्टोर्स तक सीमित नहीं रहेंगी। सरकार ने इन्हें ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाओं की सूची में शामिल करने का फैसला किया है, जिससे ये दवाएं अब किराना और जनरल स्टोर्स पर भी उपलब्ध होंगी। इसका सबसे बड़ा लाभ उन लोगों को मिलेगा जो गांवों और दूरदराज के इलाकों में रहते हैं, जहां मेडिकल स्टोर्स की उपलब्धता अक्सर एक चुनौती होती है। इस निर्णय से बुखार, दर्द या सामान्य एलर्जी जैसे छोटे-मोटे स्वास्थ्य समस्याओं के लिए अब डॉक्टर की पर्ची की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे लोगों की दिनचर्या में स्वास्थ्य से जुड़ी एक नई सहूलियत जुड़ने जा रही है।
रोजमर्रा की जरूरतों के लिए OTC दवाएं एक बड़ी सुविधा
सरकार की योजना है कि पेरासिटामोल, आइब्यूप्रोफेन, लिवोसिट्राजीन, ब्रूफेन जैसी कुल 27 जेनरिक दवाओं को ओवर-द-काउंटर श्रेणी में शामिल कर उन्हें परचून की दुकानों तक पहुंचाया जाए। यह कदम केवल शहरी नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवा को सहज और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार है। पहले ये दवाएं केवल फार्मेसी पर डॉक्टर की पर्ची से ही मिलती थीं, लेकिन अब इन्हें खरीदने की प्रक्रिया कहीं आसान हो जाएगी।
अब तक क्यों नहीं मिलती थीं ये दवाएं बिना पर्ची?
भारत में अभी तक ओवर-द-काउंटर दवाओं को लेकर कोई स्पष्ट कानूनी या नियामकीय व्यवस्था नहीं थी। नतीजतन, फार्मेसी स्टोर ही इन दवाओं की एकमात्र वैध बिक्री का माध्यम थे। मई 2023 में CDSCO (Central Drugs Standard Control Organization) ने एक सब-कमेटी गठित की, जिसने यह तय करने की ज़िम्मेदारी ली कि किन दवाओं को OTC श्रेणी में रखा जा सकता है।
पैनल की रिपोर्ट और सुझाव
ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) की सिफारिशों के आधार पर सब-कमेटी ने एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इसमें बताया गया कि रोज़ाना सबसे ज्यादा बिकने वाली और सुरक्षित मानी जाने वाली दवाओं की सूची बनाई गई है, जिन्हें OTC दवाएं घोषित किया जा सकता है। इन दवाओं के सुरक्षित उपयोग को ध्यान में रखते हुए डोज और पैकिंग की सीमाएं भी निर्धारित की जाएंगी।
दवाओं की डोज पर होगा विशेष ध्यान
पैनल ने स्पष्ट किया है कि ओवर-द-काउंटर दवाएं सीमित मात्रा में ही उपलब्ध कराई जाएंगी। उदाहरण के तौर पर, आइब्यूप्रोफेन जैसी दवा अगर अधिक मात्रा में ली जाए तो स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकती है। इसलिए सरकार दवाओं के पैकिंग साइज और डोजिंग को लेकर मानक तय करेगी ताकि उपभोक्ताओं को उचित और सुरक्षित उपयोग के लिए मार्गदर्शन मिले।
OTC दवाओं के लिए बनेगा नया कानूनी ढांचा
सरकार अब ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 में आवश्यक बदलाव करने जा रही है। इससे OTC दवाओं की बिक्री, लेबलिंग, प्रचार और पात्रता के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनेंगे। डॉक्टर की पर्ची वाली दवाओं की तरह अब बिना पर्ची मिलने वाली दवाओं के लिए भी एक स्पष्ट गाइडलाइन तैयार होगी, जिससे किसी भी दवा का दुरुपयोग रोका जा सकेगा।
गांव और कस्बों के लोगों को होगा सीधा लाभ
इस फैसले का सबसे बड़ा प्रभाव ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में रहने वाले लोगों पर पड़ेगा। वहां अक्सर मेडिकल स्टोर्स की संख्या सीमित होती है और मामूली बीमारियों के लिए भी लोगों को लंबा सफर तय करना पड़ता है। अब पेरासिटामोल जैसी साधारण और सुरक्षित दवाएं मोहल्ले की किराना दुकान से भी खरीदी जा सकेंगी, जिससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि छोटे-मोटे स्वास्थ्य समस्याओं का तुरंत समाधान मिल पाएगा।