क्या मृत्यु के बाद आपका नॉमिनी बन जाता है आपकी सारी संपत्ति का मालिक? जानिए कानूनी नियम

नॉमिनी सिर्फ संपत्ति के संरक्षण और क्लेम का माध्यम होता है, जबकि कानूनी मालिकाना हक केवल उत्तराधिकारियों या वसीयत में नामित व्यक्ति को मिलता है। नॉमिनी और उत्तराधिकारी में फर्क को समझना आवश्यक है ताकि आपकी संपत्ति इच्छित व्यक्ति तक सही तरीके से पहुंचे।

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क्या मृत्यु के बाद आपका नॉमिनी बन जाता है आपकी सारी संपत्ति का मालिक? जानिए कानूनी नियम
संपत्ति का मालिक

जब भी हम किसी बीमा पॉलिसी, बैंक खाता, निवेश योजना या संपत्ति में निवेश करते हैं, तो एक बेहद सामान्य और जरूरी प्रक्रिया होती है — नॉमिनी यानी Nominee की जानकारी देना। नॉमिनी मतलब वो व्यक्ति जिसे आपके न रहने की स्थिति में आपकी पॉलिसी, बैंक अकाउंट, इंश्योरेंस या अन्य योजनाओं से पैसे निकालने का अधिकार होता है। लेकिन यही वो बिंदु है जहां अक्सर एक महत्वपूर्ण भ्रम पैदा होता है: क्या नॉमिनी को संपत्ति का मालिकाना हक भी मिल जाता है?

असल में, नॉमिनी सिर्फ एक ट्रस्टी होता है — एक विश्वासी, जिसे आपकी अनुपस्थिति में संपत्ति या रकम को अस्थायी रूप से संभालने का अधिकार होता है। लेकिन कानूनी रूप से वह संपत्ति का असली मालिक नहीं होता, जब तक कि वसीयत (Will) में उसका स्पष्ट उल्लेख न किया गया हो या वह आपके कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heir) में शामिल न हो।

कौन होता है कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heir)?

कानूनी उत्तराधिकारी वह व्यक्ति होता है जो उत्तराधिकार अधिनियम (Succession Act) के अनुसार संपत्ति पर अधिकार पाने का हकदार है। यह अधिकार या तो वसीयत के माध्यम से दिया जाता है या फिर कानून के तहत तय होता है। यदि वसीयत नहीं बनी है, तो उत्तराधिकार कानून के मुताबिक संपत्ति का बंटवारा होता है।

यदि नॉमिनी व्यक्ति भी उत्तराधिकारी वर्ग में आता है, तो उसे संपत्ति में से हिस्सा मिलेगा — लेकिन केवल उतना ही जितना कानून उसे देता है या वसीयत में निर्दिष्ट होता है। यदि नॉमिनी आपका कोई परिचित, मित्र या बाहरी व्यक्ति है, तो वह सिर्फ पैसे निकालने का अधिकार रखता है, संपत्ति का मालिक नहीं बनता। ऐसी स्थिति में वह रकम या संपत्ति कानूनी उत्तराधिकारियों को सौंपी जाती है।

क्लास-1 और क्लास-2 उत्तराधिकारी कौन होते हैं?

भारतीय उत्तराधिकार कानून के अनुसार उत्तराधिकारियों को दो वर्गों में बांटा गया है:
क्लास-1 उत्तराधिकारी में पुत्र, पुत्री, विधवा पत्नी, और माता शामिल होते हैं। जब ये मौजूद हों, तो इन्हें संपत्ति का अधिकार सबसे पहले और बराबर रूप से मिलता है।
क्लास-2 उत्तराधिकारी में पिता, भाई, बहन, पुत्र व पुत्री की संतानें आदि आते हैं। यदि क्लास-1 में कोई नहीं है, तो संपत्ति क्लास-2 उत्तराधिकारियों में बांटी जाती है।

अगर इन दोनों वर्गों में भी कोई उत्तराधिकारी नहीं है, तो संपत्ति का अधिकार अन्य दूर के रिश्तेदारों या कानूनी वारिसों को मिलता है — बशर्ते उनका खून का रिश्ता मृतक से हो।

नॉमिनी की भूमिका क्या होती है?

Nominee का चयन आपके जीवनकाल में आप अपनी किसी योजना, खाता या संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए करते हैं। यह एक आवश्यक प्रक्रिया होती है ताकि आपकी मृत्यु के बाद वह व्यक्ति उस संपत्ति या योजना का क्लेम कर सके और उसे अन्य उत्तराधिकारियों तक पहुंचा सके।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि नॉमिनी को केवल अस्थायी संरक्षक माना जाता है, न कि अंतिम मालिक। उसे अधिकार तभी मिलता है जब वह वसीयत में नामित हो या कानूनी उत्तराधिकारी हो। अन्यथा, वह सिर्फ पैसे निकालकर आगे उत्तराधिकारियों में उसे वितरित करने का दायित्व निभाता है।

यदि आप चाहते हैं कि नॉमिनी को संपत्ति का पूर्ण हक मिले, तो इसके लिए वसीयत (Will) में स्पष्ट और कानूनी उल्लेख आवश्यक है।

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