
आजकल भारत में फ्लैट या अपार्टमेंट खरीदने का चलन बहुत तेज़ी से बढ़ा है। कारण भी स्पष्ट है—जमीन से घर बनवाना अब आम आदमी की पहुंच से बाहर हो चुका है। शहरीकरण, महंगाई और सीमित जगह की वजह से अब ज़्यादातर लोग फ्लैट को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये फ्लैट कितने साल तक चलेंगे? और जब 100 साल बाद बिल्डिंग जर्जर हो जाएगी, तब उसे फिर से बनवाना किसकी जिम्मेदारी होगी?
फ्लैट की उम्र और उसका मालिकाना हक
फ्लैट या अपार्टमेंट की बिल्डिंग आमतौर पर रीइन्फोर्स्ड कंक्रीट स्ट्रक्चर (RCC) से बनाई जाती है, जिसकी औसत उम्र 60 से 100 साल के बीच मानी जाती है। इसका मतलब ये हुआ कि एक फ्लैट भले ही आपकी ज़िंदगी में मजबूत बना रहे, लेकिन आने वाली पीढ़ियों को इसके रिकंस्ट्रक्शन का सामना करना ही पड़ सकता है।
अगर आप एक स्वतंत्र घर के मालिक होते हैं, तो मरम्मत से लेकर नया निर्माण तक आप खुद तय कर सकते हैं। लेकिन फ्लैट की बात अलग है—यह एक साझा संपत्ति होती है, जिसमें कॉमन एरिया और स्ट्रक्चर की ज़िम्मेदारी सामूहिक होती है।
मरम्मत की जिम्मेदारी किसकी?
जब फ्लैट में छोटी-मोटी मरम्मत की जरूरत पड़ती है—जैसे पेंट, वॉल प्लास्टर, प्लंबिंग या इलेक्ट्रिक फॉल्ट—तो यह हर फ्लैट मालिक की निजी जिम्मेदारी होती है। लेकिन बिल्डिंग की स्ट्रक्चर या कॉमन फैसिलिटी जैसे लिफ्ट, सीढ़ी, सीवेज सिस्टम की मरम्मत या रखरखाव की जिम्मेदारी सॉसायटी या हाउसिंग एसोसिएशन की होती है।
बहुत बार बिल्डर कुछ साल तक मेंटेनेंस की जिम्मेदारी लेता है, लेकिन उसके बाद यह कार्य निवासियों पर आ जाता है।
100 साल बाद नई बिल्डिंग कौन बनाएगा?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब पूरी बिल्डिंग जर्जर हो जाएगी और उसे गिराकर नई बिल्डिंग बनानी पड़ेगी, तब यह खर्च कौन उठाएगा? NoBroker पोर्टल के मुताबिक, ऐसे में बिल्डिंग के सभी फ्लैट मालिकों को मिलकर निर्णय लेना होगा और निर्माण की लागत भी आपसी सहयोग से ही उठानी होगी।
यह प्रक्रिया न केवल खर्चीली होती है, बल्कि कानूनी और प्रशासनिक रूप से भी जटिल होती है। सभी फ्लैट मालिकों की सहमति जरूरी होती है, जो अक्सर आसान नहीं होती।
अगर मालिक जीवित न हो तब क्या होगा?
फ्लैट 100 साल तक चलेगा, ये मान भी लिया जाए, लेकिन तब तक मूल मालिक शायद जीवित न रहें। ऐसे में वर्तमान मालिक—जैसे उनके उत्तराधिकारी या जिसने सेकंड हैंड फ्लैट खरीदा हो—को उस बिल्डिंग के पुनर्निर्माण का खर्च वहन करना होगा।
इसलिए भविष्य की जिम्मेदारियों को समझते हुए ही फ्लैट इन्वेस्टमेंट किया जाना चाहिए।
पुराना फ्लैट खरीदने में जोखिम
जानकारों की राय है कि 5 साल से ज्यादा पुराना फ्लैट खरीदने से पहले उसकी स्ट्रक्चरल स्थिति की पूरी जांच कर लेनी चाहिए। पुरानी बिल्डिंगों में वॉटर लीकेज, प्लास्टर टूटना, दीवारों में दरार जैसे संकेत आने लगते हैं। ऐसे में रिसेल फ्लैट खरीदते समय भविष्य की जिम्मेदारियों और संभावित रीकंस्ट्रक्शन कॉस्ट को ध्यान में रखना जरूरी है।