
आठ दशकों बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से अरबों रुपये की संपत्ति मुक्त कराने के बाद अब नगर निगम ने अगला कदम उठाया है—नौरंगाबाद रोड पर स्थित अपनी 21 बीघा जमीन को कब्जा मुक्त कराना। वर्तमान में इस जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा कर रखा है, जिसकी बाजार कीमत 110 करोड़ रुपये से भी अधिक आंकी जा रही है। इस जमीन पर कब्जे की स्थिति वर्षों से विवादित रही है, लेकिन अब नए वक्फ कानून के प्रावधानों ने नगर निगम को नया कानूनी बल दिया है।
वक्फ बोर्ड बनाम नगर निगम: हाईकोर्ट की दहलीज़ पर दो दावेदार
यह मामला जीटी रोड स्थित डीएवी बालक और बालिका इंटर कॉलेजों के बीच की सात बीघा जमीन (गाटा संख्या 1995-2) और छर्रा अड्डा बस स्टैंड पर 14 बीघा जमीन (गाटा संख्या 1996) से जुड़ा है। नगर निगम ने इन जमीनों पर पहले ही चहारदीवारी कर कब्जा जमा लिया था, लेकिन सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ ने इन पर वक्फ घोषित करते हुए वक्फ कमेटियों का गठन कर दिया। इसके बाद 2020 और 2022 में दो अलग-अलग मुकदमे हाईकोर्ट में दायर किए गए।
हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के बाद फिलहाल दोनों पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया है। इस बीच नगर निगम ने वक्फ कानून में हाल ही में किए गए बदलावों को आधार बनाकर जमीन को फिर से अपने अधीन लेने की रणनीति बना ली है।
नए वक्फ कानून का असर: सरकारी जमीन पर नहीं लागू होंगे वक्फ नियम
वक्फ कानून में संशोधन के अनुसार, अब सरकारी जमीनों पर वक्फ का दावा मान्य नहीं होगा। यही बात नगर निगम के लिए कानूनी हथियार बन गई है। नगर निगम का मानना है कि ये दोनों विवादित जमीनें शुरू से ही सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हैं, जिन पर वक्फ दावा अब वैधानिक रूप से अमान्य है। नगर निगम के संपत्ति विभाग के लिपिक विजय गुप्ता के अनुसार, जल्द ही निगम हाईकोर्ट में इस आधार पर अपना पक्ष रखेगा और कब्जा मुक्त कराने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
निगम की रणनीति और संभावित लाभ
यदि नगर निगम इन जमीनों को फिर से अपने अधीन ले आता है, तो इससे न केवल राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि शहरी विकास की योजनाओं को भी नई गति मिलेगी। नगर आयुक्त विनोद कुमार के अनुसार, करोड़ों की यह संपत्ति वर्षों से उपयोग से बाहर थी और इसके कारण कई योजनाएं अटकी रहीं। नए वक्फ कानून ने इस दिशा में उम्मीद की एक नई किरण दी है।