
हरियाणा में शिक्षा नीति को लेकर एक अहम मोड़ आया है, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-NEP और राइट टू एजुकेशन एक्ट-RTE Act, 2009 के प्रावधानों को केंद्र में रखते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अब हरियाणा के सभी स्कूलों में कक्षा एक-Class 1 में दाखिला उन्हीं बच्चों को मिलेगा जिनकी उम्र कम से कम छह वर्ष होगी। यह निर्णय न केवल मौजूदा शिक्षा नियमों में सुधार की मांग करता है बल्कि बच्चों के मानसिक और शैक्षणिक विकास को भी प्राथमिकता देता है।
पुराने नियमों पर अदालत की सख्त टिप्पणी
हरियाणा सरकार द्वारा 2011 में बनाए गए नियमों के अनुसार, पाँच वर्ष की उम्र के बच्चों को भी पहली कक्षा में दाखिला दिया जा सकता था। परंतु जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान केंद्र सरकार के शिक्षा कानूनों और नीति के खिलाफ है। अदालत ने माना कि जब राइट टू एजुकेशन एक्ट-Right to Education Act, 2009 और NEP 2020 दोनों स्पष्ट रूप से पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 6 वर्ष तय करते हैं, तब राज्य सरकार का अलग नियम असंगत और अवैध है।
सरकार की नीति और तर्कों पर सवाल
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि रिकॉर्ड में कहीं यह उल्लेख नहीं है कि 2011 में नियम बनाते समय सरकार ने 5 वर्ष की उम्र को क्यों उपयुक्त माना। विशेष रूप से तब, जब 2023 में सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार कर लिया था, उस समय पुराने नियमों में बदलाव आवश्यक था। कोर्ट ने सरकार की इस चूक को नीति के प्रति लापरवाही और असंगत नीति क्रियान्वयन का संकेत बताया।
अब क्या होंगे प्रमुख बदलाव
अब हरियाणा सरकार को अपने RTE Rules, 2011 में संशोधन कर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी स्कूल 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को कक्षा एक में दाखिला न दे। यह नियम अब राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों पर लागू होगा। इस फैसले के बाद शिक्षा प्रणाली में एकरूपता आएगी और बच्चों को उनकी उम्र के अनुरूप शिक्षण मिलेगा।
प्रभावित होंगे नए प्रवेश सत्र
इस फैसले का सीधा असर उन अभिभावकों पर पड़ेगा जो अपने बच्चों को कक्षा 1 में प्रवेश दिलाने की योजना बना रहे हैं। अब उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे की उम्र कम से कम 6 वर्ष हो। इससे प्रवेश प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और नियमनुसार होगी। साथ ही, स्कूलों की जिम्मेदारी बढ़ेगी कि वे दाखिले से पहले आयु सत्यापन की कड़ी प्रक्रिया अपनाएं।
शिक्षा की गुणवत्ता में आएगा सुधार
शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता को एक नई दिशा देगा। उचित उम्र में स्कूलिंग शुरू करने से बच्चों की सीखने की क्षमता, संज्ञानात्मक विकास और मानसिक परिपक्वता बेहतर होगी। इससे न केवल प्रारंभिक शिक्षा मज़बूत होगी, बल्कि लंबे समय में बच्चों का आत्मविश्वास और अकादमिक प्रदर्शन भी सुधरेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की दिशा में ठोस कदम
NEP 2020 के अनुसार, स्कूली शिक्षा की शुरुआत Foundational Stage से होनी चाहिए, जिसमें 3 साल की प्री-प्राइमरी और फिर कक्षा 1 और 2 शामिल हैं। इसके अनुसार बच्चा जब कक्षा 1 में प्रवेश करता है, तब उसकी आयु 6 वर्ष होना अनिवार्य है। यह संरचना बालकों के विकासात्मक चरणों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, और अब हरियाणा का यह कदम NEP के उद्देश्यों को मूर्त रूप देगा।
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