
भारतीय सेना-Indian Army की मजबूती और अनुशासन पूरे विश्व में चर्चित है। वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव, और ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बाद, यह सवाल तेजी से लोगों के मन में उभर रहा है कि क्या भारतीय सेना रिटायर हो चुके सैनिकों को फिर से सेवा में बुला सकती है? पहलगाम हमले के जवाब में भारत द्वारा की जा रही सख्त कार्रवाई और सीमा पर बनते युद्ध जैसे हालात ने इस विषय को और भी प्रासंगिक बना दिया है।
सेना में वापसी: क्या है कानूनी आधार?
भारतीय सेना में सैनिकों की दोबारा भर्ती का प्रावधान पूरी तरह से आर्मी रूल्स 1954-Army Rules, 1954 के अंतर्गत आता है। इन नियमों के अनुसार, केंद्र सरकार विशेष परिस्थितियों में रिटायर्ड सैनिकों को फिर से सेवा के लिए बुला सकती है। यह नियम इस उद्देश्य से बनाए गए हैं कि राष्ट्रीय संकट या युद्ध जैसे समय में अनुभवी जवानों की मदद से सेना की ताकत और रणनीतिक दक्षता को बढ़ाया जा सके।
कब हो सकती है रिटायर्ड सैनिकों की वापसी?
यह स्पष्ट है कि भारतीय सेना बिना कारण रिटायर्ड सैनिकों को नहीं बुलाती। इसके लिए कुछ विशेष परिस्थितियाँ निर्धारित की गई हैं:
- युद्ध या युद्ध जैसी स्थिति: जब देश के खिलाफ सीधी आक्रामक कार्रवाई हो रही हो, जैसे वर्तमान में पाकिस्तान की ओर से हो रहे ड्रोन हमले और सीमा पर तनाव।
- राष्ट्रीय आपातकाल: प्राकृतिक आपदा, आतंकी हमले या आंतरिक अशांति जैसी स्थितियों में भी सेना के पुराने अनुभवी जवानों की आवश्यकता पड़ सकती है।
- विशेष सैन्य अभियान: जैसे ऑपरेशन सिंदूर, जहां रणनीतिक अनुभव की ज़रूरत होती है, उसमें रिटायर्ड सैनिकों को बुलाया जा सकता है।
सेवा में वापसी की अवधि क्या होती है?
एक सामान्य रिटायर्ड सैनिक को कितने वर्षों बाद तक दोबारा बुलाया जा सकता है, यह उसकी उम्र, फिटनेस और सेवा रिकॉर्ड पर निर्भर करता है। अधिकतर मामलों में, 50 से 57 वर्ष की आयु तक के जवानों को ही दोबारा सेवा में शामिल किया जा सकता है, वह भी तब जब उनकी मेडिकल फिटनेस और ट्रेनिंग स्तर सैन्य जरूरतों के अनुरूप हों।