Can Soldiers Refuse To Fight: क्या सेना के जवान जंग लड़ने से मना कर सकते हैं? जानें क्या है फौज में इसके नियम

भारत-पाक तनाव के बीच यह जानना जरूरी है कि भारतीय सैनिक युद्ध से इनकार नहीं कर सकते। वे राष्ट्र की रक्षा की शपथ लेते हैं और उनका अनुशासन उन्हें युद्ध के लिए बाध्य करता है। कुछ अपवाद—जैसे बीमारी—छूट प्रदान कर सकते हैं, लेकिन व्यक्तिगत इनकार की अनुमति नहीं होती। विवेक आधारित आपत्ति की धारणा भारत में सीमित और दुर्लभ है।

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Can Soldiers Refuse To Fight: क्या सेना के जवान जंग लड़ने से मना कर सकते हैं? जानें क्या है फौज में इसके नियम
Can Soldiers Refuse To Fight

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते Can Soldiers Refuse To Fight जैसे सवाल उठना स्वाभाविक हैं। मौजूदा हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने कई राज्यों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल के निर्देश दिए हैं, ताकि युद्ध या हवाई हमले जैसी स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। 7 मई को देशभर में यह मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है, जो पिछली बार 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान हुई थी। इस स्थिति में आम लोगों के मन में यह जिज्ञासा है कि क्या भारतीय सैनिक युद्ध लड़ने से इनकार कर सकते हैं?

क्या सैनिक जंग लड़ने से मना कर सकते हैं?

भारतीय सेना में सेवा दे रहे जवान देश की रक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की बाज़ी लगाने को सदैव तैयार रहते हैं। युद्ध जैसी विकट परिस्थितियों में भी वे पीछे नहीं हटते। सैन्य सेवा के दौरान वे यह शपथ लेते हैं कि वे किसी भी हालात में राष्ट्र की सुरक्षा के लिए तत्पर रहेंगे। ऐसे में सैनिक का युद्ध लड़ने से मना करना सामान्यतः संभव नहीं होता, क्योंकि उनकी ड्यूटी और अनुशासन सर्वोपरि होता है।

विवेक पर आधारित असहमति

हालांकि, विश्व भर में कुछ विशेष परिस्थिति को “Conscientious Objection” यानी विवेकपूर्ण आपत्तिकर्ता के नाम से जाना जाता है। इसमें कोई व्यक्ति धार्मिक या नैतिक कारणों से हथियार उठाने या युद्ध में भाग लेने से इनकार कर सकता है। भारत में यह स्थिति बेहद दुर्लभ है और सैन्य सेवा में शामिल होते समय जवान स्पष्ट रूप से सहमति देते हैं कि वे राष्ट्रहित में युद्ध भी करेंगे। ऐसे में विवेक आधारित आपत्ति का विकल्प केवल विशेष और कानूनी प्रक्रियाओं के तहत ही सामने आ सकता है।

क्या हैं अपवाद की स्थितियां?

कुछ अपवाद हो सकते हैं जहां सैनिक अस्थायी रूप से युद्ध में भाग न लेने की अनुमति प्राप्त कर सकता है। जैसे कि गंभीर बीमारी, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या या किसी मेडिकल आधार पर उसे ड्यूटी से मुक्त किया गया हो। हालांकि, यह इनकार नहीं बल्कि चिकित्सा या प्रशासनिक निर्णय होता है। भारतीय सेना के सैनिक पूरी प्रतिबद्धता के साथ युद्ध के लिए तैयार रहते हैं और अनुशासन के तहत उनका दायित्व स्पष्ट होता है।

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