क्या नाना की प्रॉपर्टी पर जता सकते हैं अपना हक? जानिए अपने कानूनी अधिकार

नाना की संपत्ति में नाती-नातिन के अधिकार को लेकर कई भ्रांतियां हैं। यह अधिकार संपत्ति के स्वरूप—पैतृक या स्वयं अर्जित—और वसीयत की स्थिति पर निर्भर करता है। भारतीय कानून के तहत पैतृक संपत्ति और वसीयत दोनों की स्थिति में नाती-नातिन अपना हक पा सकते हैं। सही जानकारी से अपने अधिकारों की रक्षा करें।

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क्या नाना की प्रॉपर्टी पर जता सकते हैं अपना हक? जानिए अपने कानूनी अधिकार
Grandfather Property Rights

भारतीय परिवारों में संपत्ति के बंटवारे को लेकर हमेशा से जिज्ञासा बनी रहती है। खासतौर पर “maternal grandfather property rights” यानी नाना की संपत्ति में नाती-नातिन का हक (Maternal Grandfather Property Rights) को लेकर सवाल अक्सर उठते हैं। भारतीय कानून में संपत्ति से जुड़े अधिकारों को पर्सनल लॉ और पारिवारिक परंपराओं के अनुसार तय किया गया है, जिससे कई बार लोग भ्रमित हो जाते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नाना की संपत्ति में नाती या नातिन का अधिकार होता है या नहीं, और यह किस आधार पर निर्भर करता है।

नाना की संपत्ति: सेल्फ-एक्वायर्ड बनाम पैतृक संपत्ति

“Property Rights of Grandchildren” के संदर्भ में सबसे पहली बात समझनी जरूरी है कि नाना की संपत्ति किस प्रकार की है — स्वयं अर्जित (Self-acquired) या पैतृक (Ancestral)।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत, संपत्ति के स्वरूप के अनुसार उत्तराधिकार तय होता है।

यदि संपत्ति नाना ने स्वयं अर्जित की है, यानी अपने जीवन में खुद कमाई या खरीदी है, तो इस पर उनका पूर्ण अधिकार होता है। ऐसी स्थिति में नाती-नातिन का संपत्ति पर कोई स्वतःसिद्ध कानूनी अधिकार नहीं होता। नाना अपनी सेल्फ-एक्वायर्ड प्रॉपर्टी को किसी को भी वसीयत कर सकते हैं या जीवित रहते हुए बेच सकते हैं। यदि नाना की मृत्यु वसीयत के बिना होती है, तो संपत्ति उनके कानूनी वारिसों के बीच बंटेगी, जिसमें उनकी बेटी यानी आपकी मां को हिस्सा मिलेगा। मां के निधन के बाद, मां के उत्तराधिकारी के रूप में नाती-नातिन इस संपत्ति पर अपना हक जता सकते हैं।

पैतृक संपत्ति में नाती-नातिन का अधिकार

अगर संपत्ति पैतृक है, यानी नाना को उनके पूर्वजों से बिना विभाजन के प्राप्त हुई है, तो इसमें स्थिति अलग होती है। हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, बेटी यानी आपकी मां को पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार प्राप्त होता है। मां के बाद उसके उत्तराधिकारी — बेटे और बेटियां यानी नाती-नातिन — इस संपत्ति में समान रूप से वारिस बनते हैं। हालांकि, सीधे तौर पर नाती-नातिन नाना की संपत्ति के उत्तराधिकारी नहीं माने जाते जब तक कि उनके मां के अधिकार से उन्हें हिस्सा न मिले।

वसीयत के प्रभाव में नाना की संपत्ति पर अधिकार

अगर नाना ने अपनी संपत्ति के संबंध में वसीयत (Will) तैयार की है, तो संपत्ति उसी व्यक्ति को मिलेगी जिसका नाम वसीयत में उल्लेखित है। अगर वसीयत में नाती या नातिन का नाम लिखा गया है, तो वे हकदार बनते हैं। वहीं, अगर वसीयत में केवल बेटी या किसी अन्य व्यक्ति का नाम है, तो नाती-नातिन को संपत्ति पर कोई कानूनी दावा नहीं बनता। अगर नाना की कोई वसीयत नहीं है, तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के नियमों के तहत संपत्ति का बंटवारा होता है।

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