
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब देते हुए भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर तड़के सुबह सटीक मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इस सैन्य कार्रवाई के बाद पूरे देश में सुरक्षा सतर्कता बढ़ा दी गई है। कई राज्यों में मॉक ड्रिल्स और सुरक्षा अभ्यास तेज़ कर दिए गए हैं।
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल्स, जो पहले महज़ एक अभ्यास माने जाते थे, अब राष्ट्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। ऐसे में हर नागरिक का यह जानना बेहद जरूरी है कि मॉक ड्रिल के दौरान क्या करना चाहिए और कौन-सी गलतियां भारी पड़ सकती हैं।
❌ मॉक ड्रिल के दौरान ये गलतियां न करें
- ड्रिल को हल्के में लेना: यह सिर्फ एक्टिंग नहीं है, बल्कि असल संकट के लिए आपकी तैयारी का टेस्ट है।
- पैनिक या अफवाह फैलाना: अफरा-तफरी मचाना न सिर्फ आपको, बल्कि दूसरों को भी खतरे में डाल सकता है।
- रास्ता रोकना: आपातकालीन वाहन, जैसे एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड, के रास्ते में खड़ा होना घातक हो सकता है।
- वीडियो बनाना या सोशल मीडिया पर डालना: इससे गलत सूचनाएं फैल सकती हैं और स्थिति अस्थिर हो सकती है।
- सुरक्षा निर्देशों की अनदेखी: निर्देशों को अनसुना करना आपकी सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।
✅ क्या करें मॉक ड्रिल के दौरान?
- शांत रहें और सतर्कता बनाए रखें
- निकासी मार्ग और सुरक्षित स्थानों की जानकारी पहले से रखें
- सुरक्षा अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें
- यदि कोई घायल है, तो प्राथमिक सहायता दें या हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें
- भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से दूर रहें
🛑 ऑपरेशन सिंदूर के बाद क्यों जरूरी हो गईं मॉक ड्रिल्स?
भारत की तीनों सेनाओं द्वारा की गई इस बड़ी कार्रवाई के बाद देशभर में सुरक्षा अलर्ट घोषित किया गया है। खासतौर पर बॉर्डर स्टेट्स, बड़े शहरों, एयरबेस, मॉल, स्कूल और रेलवे स्टेशनों पर मॉक ड्रिल्स लगातार चल रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समय सामान्य नागरिकों की सतर्कता और भागीदारी ही देश की सबसे बड़ी ताकत है।
प्रशासन की अपील
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), होम मिनिस्ट्री और पुलिस प्रशासन ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वे मॉक ड्रिल को हल्के में न लें और उसे पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता से लें।
“हमने ऑपरेशन सिंदूर के तहत दुश्मनों को सटीक जवाब दिया है, लेकिन भीतर से भी तैयार रहना उतना ही जरूरी है,” – यह कहना है NDMA के वरिष्ठ अधिकारी का।
भारत ने आतंक के खिलाफ एक सख्त रुख अपनाया है, लेकिन किसी भी प्रतिक्रिया या अप्रत्याशित खतरे से निपटने के लिए देश के हर नागरिक को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रहना होगा। मॉक ड्रिल्स सिर्फ एक प्रैक्टिस नहीं, बल्कि जीवन रक्षक अभ्यास हैं