
हाल ही में आयकर विभाग ने करदाताओं के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है, जिसके तहत अब टैक्स भुगतान को पहले से कहीं अधिक सहज बना दिया गया है। इस नई सुविधा का नाम ‘ई-पे टैक्स’ (e-Pay Tax) है, जो करदाताओं को आयकर पोर्टल पर लॉगिन या पासवर्ड की आवश्यकता के बिना टैक्स भरने की अनुमति देती है। ‘ई-पे टैक्स’ का उद्देश्य उन व्यक्तियों को सुविधा प्रदान करना है जो केवल टैक्स भुगतान करना चाहते हैं, लेकिन जिनके लिए पूरा आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना अनिवार्य नहीं है।
क्या आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने के लिए लॉगिन और पासवर्ड अब भी जरूरी हैं?
भले ही ‘ई-पे टैक्स’ सुविधा के जरिए टैक्स भुगतान बिना लॉगिन के संभव हो गया हो, लेकिन आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने के लिए अब भी लॉगिन और पासवर्ड की आवश्यकता है। आयकर विभाग ने लॉगिन प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाने के लिए कई विकल्प उपलब्ध कराए हैं, जिससे करदाता अपने तरीके से सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।
नेट बैंकिंग के माध्यम से लॉगिन एक प्रमुख विकल्प है। यदि आपका बैंक इस सेवा का समर्थन करता है, तो आप सीधे अपने बैंक खाते से लॉगिन कर सकते हैं। इसी प्रकार, यदि आपका पैन नंबर आपके आधार कार्ड से लिंक है, तो आप आधार आधारित OTP के माध्यम से भी पोर्टल पर लॉगिन कर सकते हैं। डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) का उपयोग भी एक वैकल्पिक तरीका है, जिससे आप सुरक्षित और प्रमाणिक तरीके से लॉगिन कर सकते हैं।
यदि कोई करदाता अपना पासवर्ड भूल जाता है, तो ‘पासवर्ड भूल गए’ विकल्प के जरिए नए पासवर्ड को सेट करना भी बेहद आसान कर दिया गया है।
‘ई-पे टैक्स’ सुविधा का महत्व
‘ई-पे टैक्स’ सुविधा विशेष रूप से उन लोगों के लिए एक वरदान साबित हो रही है, जिन्हें केवल अपने बकाया टैक्स का भुगतान करना है और जो विस्तृत फॉर्म भरने में रुचि नहीं रखते। इससे टैक्स भुगतान की प्रक्रिया त्वरित, सरल और अधिक सुलभ बन गई है। आयकर विभाग का यह कदम डिजिटल इंडिया पहल के अनुरूप है और इसके तहत नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक और मील का पत्थर साबित हो रहा है।
आने वाले समय में और सुविधाएं
आयकर विभाग भविष्य में टैक्स से जुड़ी प्रक्रियाओं को और अधिक सहज बनाने के लिए नई तकनीकों और सुविधाओं को शामिल कर सकता है। जैसे-जैसे डिजिटल सेवाओं का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे करदाताओं के लिए भी विकल्प बढ़ रहे हैं। ‘ई-पे टैक्स’ जैसी पहलें करदाताओं को समय और श्रम दोनों की बचत कराती हैं, साथ ही पारदर्शिता को भी बढ़ावा देती हैं।