
गंजापन और झड़ते बालों की समस्या आज के समय में बहुत आम हो गई है, खासकर बदली जीवनशैली और असंतुलित खानपान के चलते। यही कारण है कि बालों की देखभाल और इलाज के लिए लोग हरसंभव तरीका अपनाने लगे हैं — चाहे वह विग हो, हेयर ट्रांसप्लांट हो या फिर महंगी दवाएं। लेकिन इन सभी उपायों के बावजूद भी अधिकांश लोगों को स्थायी राहत नहीं मिल पाती। ऐसे में पतंजलि द्वारा किया गया नया शोध उन लोगों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आया है जो लंबे समय से गंजेपन से जूझ रहे हैं।
पतंजलि ने आयुर्वेद के सिद्धांतों के आधार पर झड़ते बालों की समस्या का एक स्थायी समाधान खोज निकाला है। इस शोध के दौरान उन्होंने ऐसे मरीजों को शामिल किया, जिनके सिर के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों से भी बाल झड़ रहे थे। इन मरीजों ने पहले से ही एलोपैथिक और अन्य पद्धतियों से उपचार करवा रखा था, लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं मिला था। पतंजलि के इस उपचार से न केवल बालों का झड़ना रुक गया, बल्कि नए बाल भी उगने लगे।
आधुनिक जीवनशैली और बालों की समस्या
बदली जीवनशैली, तनाव, नींद की कमी और असंतुलित आहार जैसे कारणों से बालों का झड़ना सामान्य होता जा रहा है। युवाओं में यह समस्या अधिक देखी जा रही है। बाल झड़ने की स्थिति जब गंभीर हो जाती है, तो गंजापन (Alopecia) की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस स्थिति से निजात पाने के लिए लोग लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं। परंतु ट्रांसप्लांट जैसे विकल्प भी हर किसी के लिए सुलभ और सफल नहीं होते।
इन्हीं सब समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पतंजलि ने आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा इस रोग के मूल कारण को समझने की कोशिश की। उनका मानना है कि शरीर में वात और पित्त का असंतुलन ही इस समस्या की जड़ है।
पतंजलि का उपचार और शोध प्रक्रिया
पतंजलि की शोध टीम ने छह सप्ताह तक कई मरीजों पर विशेष इलाज किया। इन मरीजों को आयुर्वेद के शोधन (Detoxification), शमन (Pacification) और चिकित्सा (Therapeutic Treatment) विधियों से इलाज दिया गया। इसके अंतर्गत पंचकर्म थेरेपी, सिर पर विशेष जड़ी-बूटियों से युक्त तेल की मालिश, मुंह और नाक से दी जाने वाली औषधियाँ, तथा नियमित देखरेख शामिल थीं।
इस गहन चिकित्सा के परिणामस्वरूप, मरीजों के बाल झड़ने बंद हो गए और धीरे-धीरे नए बाल उगने लगे। इस शोध के परिणाम इतने प्रभावशाली थे कि पतंजलि ने इसे National Library of Medicine में भी प्रकाशित करवाया है, जिससे इसकी प्रमाणिकता को वैश्विक मान्यता मिली है।
आयुर्वेद का वैज्ञानिक आधार
पतंजलि का यह दावा आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि जब शरीर में वात और पित्त का संतुलन बिगड़ता है, तब बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और झड़ना शुरू हो जाता है। जब इन दोषों को संतुलित किया जाता है, तो बालों की वृद्धि पुनः शुरू होती है। शोध में पाया गया कि आयुर्वेदिक पद्धति से किया गया यह उपचार न केवल सुरक्षित है बल्कि दीर्घकालिक भी है।