Land Holding Limit: एक व्यक्ति कितनी जमीन रख सकता है? जानें जमीन की अधिकतम सीमा और नियम क्या हैं जान लो

भारत में जमीन रखना एक आम निवेश है, लेकिन हर राज्य ने इसके लिए अलग-अलग सीमा तय की है। केरल में 7.5 एकड़ से लेकर महाराष्ट्र में 54 एकड़ तक जमीन रखने की अनुमति है। तय सीमा से अधिक जमीन रखने पर कानूनी कार्रवाई और सजा हो सकती है। कृषि भूमि पर यह कानून विशेष रूप से लागू होता है, जिसे जानना और मानना हर नागरिक के लिए जरूरी है।

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Land Holding Limit: एक व्यक्ति कितनी जमीन रख सकता है? जानें जमीन की अधिकतम सीमा और नियम क्या हैं जान लो
Land Holding Limit

भारत में जमीन खरीदना सिर्फ एक निवेश नहीं, बल्कि सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा भी है। कई लोग रियल एस्टेट को सिक्योर इन्वेस्टमेंट मानते हैं और अपनी मेहनत की कमाई से एक प्लॉट या खेती योग्य जमीन ज़रूर खरीदते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर व्यक्ति के लिए एक निश्चित सीमा तय की गई है कि वह अधिकतम कितनी ज़मीन अपने नाम पर रख सकता है? इस सीमा का उल्लंघन करने पर न सिर्फ आपकी जमीन जब्त हो सकती है, बल्कि जेल भी जाना पड़ सकता है।

भारत में जमीन की सीमा के कानून राज्यवार तय हैं

भारत जैसे विशाल देश में भूमि स्वामित्व (Land Ownership) से जुड़े नियम और कायदे पूरे देश में एक जैसे नहीं हैं। हर राज्य ने अपने सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक जरूरतों के अनुसार यह तय किया है कि कोई व्यक्ति अधिकतम कितनी जमीन खरीद सकता है। यह सीमा ज्यादातर कृषि भूमि (Agricultural Land) पर लागू होती है।

उदाहरण के लिए, केरल में भूमि संशोधन अधिनियम 1963 के अनुसार, एक अविवाहित व्यक्ति सिर्फ 7.5 एकड़ तक जमीन रख सकता है, जबकि पांच लोगों का परिवार अधिकतम 15 एकड़ भूमि खरीद सकता है। वहीं महाराष्ट्र में केवल वही व्यक्ति खेती योग्य भूमि खरीद सकता है, जो पहले से कृषि कार्य में लगा हो। यहां जमीन की सीमा 54 एकड़ तय की गई है।

पश्चिम बंगाल में जमीन रखने की अधिकतम सीमा 24.5 एकड़ है जबकि बिहार में यह सीमा 15 एकड़ की है। उत्तर प्रदेश में कोई भी व्यक्ति अधिकतम 12.5 एकड़ खेती योग्य जमीन ही खरीद सकता है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश में 32 एकड़ और कर्नाटक में 54 एकड़ तक की सीमा है, हालांकि कर्नाटक में भी महाराष्ट्र की तरह कृषि पृष्ठभूमि जरूरी है।

लिमिट से ज्यादा जमीन रखने पर क्या होती है कार्रवाई?

अगर कोई व्यक्ति तय सीमा से अधिक जमीन अपने नाम पर रखता है, तो यह अत्यधिक भूमि स्वामित्व (Ceiling Limit Violation) के अंतर्गत आता है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है। न सिर्फ अतिरिक्त जमीन सरकार द्वारा अधिग्रहित की जा सकती है, बल्कि सजा भी हो सकती है।

यह कानून अंग्रेजों के ज़माने से चला आ रहा है और स्वतंत्रता के बाद भी इसे राज्यों ने अपने-अपने हिसाब से संशोधित किया है। भूमि सुधार और किसानों के हित में बनाए गए इन कानूनों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति भारी मात्रा में कृषि भूमि पर एकाधिकार न कर ले, जिससे भूमि का उचित वितरण हो सके।

क्या भारत के पड़ोसी देशों में भी ऐसा है?

पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी संपत्ति विरासत कानून के तहत जमीन की सीमा निर्धारित की गई है। हालांकि, वहां भी हर प्रांत में नियम अलग हैं और भारत की ही तरह यह पुराने अंग्रेजी कानूनों का संशोधित रूप हैं।

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