
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के मद्देनजर यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि अगर हालात युद्ध जैसे बनते हैं, तो भारत की सैन्य ताकत कैसी है। इस सन्दर्भ में सबसे पहले बात करनी होगी इंडियन आर्मी-Indian Army की, जो राष्ट्रीय सुरक्षा की पहली दीवार मानी जाती है। इंडियन नेवी और एयरफोर्स की तरह इंडियन आर्मी भी भारत की संप्रभुता की रक्षा में अहम भूमिका निभाती है, खासकर जब सीमाओं पर हालात विस्फोटक हों।
इंडियन आर्मी-Indian Army का उद्देश्य और विकास यात्रा
इंडियन आर्मी की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हुई थी, जब इसे ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के रूप में गठित किया गया था। स्वतंत्रता के बाद इसे इंडियन आर्मी कहा गया और आज यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना बन चुकी है। इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना, सीमाओं की रक्षा करना और आपातकालीन हालातों में नागरिक सहायता प्रदान करना है। वर्तमान में इस बल का नेतृत्व चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी के हाथों में है।
स्पेशल फोर्सेज की ताकत: पैरा कमांडोज और घातक प्लाटून
भारतीय सेना की सबसे विशेष और रहस्यमयी इकाइयों में शामिल हैं पैरा कमांडोज, जिनकी स्थापना 1966 में की गई थी। ये कमांडो दुश्मनों के इलाके में घुसकर ऑपरेशन करने की काबिलियत रखते हैं। ये पैराशूट रेजिमेंट के अंतर्गत काम करते हैं और काउंटर टेररिज्म, काउंटर इंसर्जेंसी और सर्जिकल स्ट्राइक्स में इनकी भूमिका अहम होती है।
इसके अतिरिक्त, हर बटालियन में एक घातक प्लाटून मौजूद होती है, जो शारीरिक रूप से सबसे फिट और मानसिक रूप से सबसे दृढ़ सैनिकों से बनी होती है। इनका इस्तेमाल भी गुप्त मिशनों और सीमा पर अचानक होने वाले हमलों के जवाब में किया जाता है। इन दोनों बलों की मौजूदगी इंडियन आर्मी को और अधिक चुस्त, स्मार्ट और प्रभावी बनाती है।
भारत की सैन्य ताकत का वैश्विक मूल्यांकन
ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स 2025 के अनुसार भारत चौथे नंबर की सबसे ताकतवर सेना वाला देश है, जबकि पाकिस्तान इस सूची में 12वें स्थान पर है। सक्रिय सैनिकों की बात करें तो भारत के पास 14.55 लाख सैनिक हैं, जबकि रिजर्व फोर्स में 11.55 लाख जवान शामिल हैं। वहीं पैरामिलिट्री बलों की बात करें तो भारत के पास 25 लाख 27 हजार जवान हैं, जो आपदा और आंतरिक सुरक्षा में अहम योगदान देते हैं।
भारतीय सेना के पास मौजूद घातक हथियार और मिसाइलें
भारतीय सेना के पास अत्याधुनिक हथियार प्रणाली है, जिसमें T-90 भीष्म और अर्जुन टैंक शामिल हैं। ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस की संयुक्त तकनीक का उदाहरण है, जो सुपरसोनिक गति से टारगेट पर वार करती है। वहीं पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्च सिस्टम सेना को व्यापक रेंज में हमला करने की क्षमता देता है। इन हथियारों के साथ भारतीय सेना की युद्ध क्षमता दुश्मनों के लिए भय का कारण बन जाती है।
इतना ही नहीं, भारतीय सेना का ऐतिहासिक अनुभव भी इसे एक अलग स्तर की ताकत प्रदान करता है। पाकिस्तान के साथ हुए चारों युद्धों में जीत हासिल कर चुकी भारतीय सेना चीन के खिलाफ भी 1962 और 1967 में निर्णायक संघर्षों में भाग ले चुकी है।