
भारतीय वायुसेना-IAF ने 6-7 मई की दरम्यानी रात ‘Operation Sindoor’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें निर्दोष भारतीय नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ-RAW से मिली सटीक जानकारी और टारगेट के चुनाव के आधार पर यह मिशन अंजाम दिया गया।
ऑपरेशन सिंदूर: रणनीति और अचूक हमला
‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर रखा गया। वायुसेना के फाइटर जेट्स ने पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए बिना ही सटीकता के साथ चार आतंकी ठिकाने पाकिस्तान में और पांच पीओके में तबाह कर दिए। इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना और थल सेना की भी अहम भूमिका रही, जिससे यह एक त्रि-सेनात्मक कार्रवाई बन गई। इस प्रकार की एयर स्ट्राइक एक सुनियोजित सैन्य क्षमता और उच्च स्तर की समन्वय का प्रमाण है।
रॉ की भूमिका: गुप्त सूचनाओं से सफलता की नींव
इस सफल मिशन की नींव भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ द्वारा दी गई सूचनाओं पर आधारित थी। रॉ ने आतंकियों के कैंप की सटीक लोकेशन और गतिविधियों की जानकारी सेना को उपलब्ध कराई। इन आतंकी ठिकानों पर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों की गतिविधियां संचालित हो रही थीं। यहां तक कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के अधिकारी भी इन ठिकानों पर आते-जाते थे, जिससे यह स्पष्ट हो गया था कि पाकिस्तान सरकार का आतंकवाद में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हाथ है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: एकता और गर्व का प्रदर्शन
इस सैन्य कार्रवाई के बाद भारत में राजनीतिक दलों और आम जनता की ओर से व्यापक समर्थन देखने को मिला। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भारतीय सेना को बधाई दी और कहा कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ एक अडिग नीति है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी सेना की इस कार्रवाई की सराहना करते हुए इसे “पाकिस्तानी डीप स्टेट को सख्त सबक” बताया। देशभर में सेना की इस कार्रवाई को लेकर गर्व और संतोष का माहौल बना हुआ है।
राष्ट्रीय सुरक्षा में नई मिसाल
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने न सिर्फ भारत की सैन्य ताकत को फिर से स्थापित किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया कि भारत अब किसी भी आतंकी हरकत का जवाब केवल शब्दों में नहीं, बल्कि ठोस सैन्य कार्रवाई से देगा। पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश गया है कि भारत की नई सुरक्षा नीति में आतंकवाद के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। यह ऑपरेशन आने वाले समय में भारत की रक्षा नीति की दिशा तय करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।