भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता को बढ़ा दिया है। भारत द्वारा 6 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर की गई एयरस्ट्राइक के बाद सीमाई क्षेत्रों में गोलीबारी, मिसाइल हमले और सैनिक जमावड़ा काफी बढ़ गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह टकराव आगे बढ़ा, तो यह केवल द्विपक्षीय संघर्ष नहीं रहेगा, बल्कि अन्य वैश्विक शक्तियों को भी इसमें खींच सकता है — जिससे तीसरे विश्व युद्ध की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर और इसके बाद की स्थिति?
भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब देते हुए पाकिस्तान में स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के 9 ठिकानों को निशाना बनाया। इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों पर गोलीबारी की, जिसमें आम नागरिक भी हताहत हुए।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस हमले को “युद्ध की कार्रवाई” करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। वहीं, भारत ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ था, न कि पाकिस्तान की सेना या जनता के खिलाफ।
क्या ये तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत हो सकती है?
विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है:
- सैन्य विश्लेषक ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) अरुण माहेन्द्रनाथ कहते हैं, “यदि हालात को कूटनीतिक स्तर पर नहीं संभाला गया, तो यह संघर्ष अन्य देशों को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने पर मजबूर कर सकता है — और यही किसी वर्ल्ड वॉर का बीज बन सकता है।”
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति विशेषज्ञ डॉ. शबाना हाशमी का मानना है, “भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र हैं। इसलिए यदि टकराव बढ़ा, तो इसकी चिंगारी पूरे दक्षिण एशिया को जला सकती है, और अमेरिका, चीन, रूस जैसे देश मजबूरी में हस्तक्षेप कर सकते हैं।”
परमाणु हथियार: सबसे बड़ा खतरा
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश परमाणु संपन्न हैं। दोनों देशों के पास मिलाकर लगभग 300 से अधिक परमाणु हथियार हैं। यदि हालात नियंत्रण से बाहर होते हैं, तो यह मानवता के लिए भयावह साबित हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है, वहीं अमेरिका, रूस और फ्रांस ने भी कूटनीतिक चैनलों के जरिए बातचीत शुरू करने की वकालत की है।
दुनिया की नजरें अब दक्षिण एशिया पर
भारत-पाकिस्तान तनाव वैश्विक बाजारों को भी प्रभावित कर रहा है। कच्चे तेल की कीमतें चढ़ गई हैं, निवेशकों में घबराहट है, और पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश, ईरान और अफगानिस्तान ने भी चिंता जताई है।
यदि कूटनीतिक स्तर पर जल्द कोई समाधान नहीं निकलता, तो यह संकट पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकता है।
फिलहाल यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत करेगा, लेकिन यह तय है कि स्थिति संवेदनशील है और हर मोड़ पर वैश्विक प्रतिक्रिया की मांग कर रही है। दुनिया को चाहिए कि वह सिर्फ अपीलों तक सीमित न रहे, बल्कि एक निर्णायक शांति प्रयास शुरू करे — वरना इतिहास फिर से एक त्रासदी दोहरा सकता है।