Insurance Policy Rules: इंश्योरेंस पॉलिसी में जल्द बदल जाएंगे नियम! पूरा सिस्टम बदल जाएगा, जान लें नियम

IRDAI ने बीमा बिक्री में पारदर्शिता लाने के लिए एक नया प्रस्ताव तैयार किया है, जिसके तहत बैंक अब बीमा कंपनियों से कमीशन नहीं लेंगे। ग्राहक से मार्केट आधारित ट्रांजेक्शन फीस वसूल कर, बीमा कंपनियों को केवल प्रीमियम दिया जाएगा। यह कदम बीमा को सस्ता, प्रतिस्पर्धी और उपभोक्ता हितैषी बनाएगा, साथ ही 2047 तक ‘सबके लिए बीमा’ लक्ष्य को साकार करने की दिशा में अग्रसर करेगा।

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Insurance Policy Rules: इंश्योरेंस पॉलिसी में जल्द बदल जाएंगे नियम! पूरा सिस्टम बदल जाएगा, जान लें नियम
Insurance Policy Rules

भारतीय बीमा क्षेत्र में बड़ा बदलाव आने वाला है। Insurance Policy Rules को लेकर बीमा नियामक संस्था IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के पास भेजा है, जिसके तहत बैंक अब बीमा बेचने पर बीमा कंपनियों से कमीशन नहीं लेंगे। इसके बजाय, ग्राहक से एक मार्केट-डिटर्माइंड ट्रांजेक्शन फीस वसूली जाएगी और बीमा कंपनियों को सीधे उनका Premium मिलेगा।

नए प्रस्ताव में क्या खास है

अब तक बैंक बीमा पॉलिसी बेचने पर बीमा कंपनियों से कमीशन लेते थे। उदाहरण के लिए, ₹1,000 सालाना प्रीमियम वाली पॉलिसी पर बैंक को लगभग 18% यानी ₹180 कमीशन मिलता था, और ग्राहक से कुल ₹1,180 वसूला जाता था। लेकिन IRDAI के इस प्रस्ताव के बाद पूरा ढांचा बदल जाएगा। बीमा कंपनियां अब बैंक को कोई कमीशन नहीं देंगी। ग्राहक बीमा खरीदते समय तयशुदा ट्रांजेक्शन फीस देगा, जो बैंक के हिस्से में जाएगी, जबकि बीमा कंपनी को केवल ₹1,000 का प्रीमियम मिलेगा।

इस परिवर्तन से बीमा की कीमत और प्रक्रिया दोनों में पारदर्शिता आएगी और ग्राहकों के लिए बीमा अधिक सुलभ और सस्ता बन सकेगा।

ग्राहक, बैंक और बीमा कंपनियों के लिए क्या होंगे फायदे

IRDAI का मानना है कि यह बदलाव तीनों पक्षों—ग्राहक, बैंक और बीमा कंपनियों—के लिए फायदेमंद होगा।

  • बैंकों के लिए: बैंकों को अब एक ही बीमा कंपनी के साथ बंधे रहने की जरूरत नहीं होगी। वे कई कंपनियों से करार कर सकते हैं, जिससे ग्राहकों को अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे।
  • ग्राहकों के लिए: मार्केट आधारित ट्रांजेक्शन फीस के कारण बीमा की कुल लागत कम हो सकती है। साथ ही, जबरदस्ती बीमा बेचने की प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगेगा क्योंकि ग्राहक के पास चुनाव की स्वतंत्रता होगी।
  • बीमा कंपनियों के लिए: कंपनियां एक या दो बैंकों पर निर्भर नहीं रहेंगी। इससे Distribution Channels का विस्तार होगा और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता और सेवा में सुधार की संभावना है।

इस बदलाव की ज़रूरत क्यों पड़ी

यह प्रस्ताव IRDAI के पूर्व चेयरमैन देबाशिष पांडा की अध्यक्षता में तैयार किया गया है, जिसमें बीमा क्षेत्र में ग्राहक का भरोसा बढ़ाने और बीमा को अधिक किफायती बनाने की बात कही गई है।

इसके पीछे एक दीर्घकालिक उद्देश्य है – IRDAI का “2047 तक सबके लिए बीमा” विज़न। इस लक्ष्य के तहत नियामक संस्था चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग बीमा से जुड़े, अधिक बीमा उत्पाद बाजार में आएं, और एक मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क तैयार हो। नया प्रस्ताव इसी दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है। अगर यह नीति लागू होती है, तो बीमा क्षेत्र में क्रांतिकारी पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा का दौर आ सकता है।

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