हर साल बदलते हैं नौकरी? तो संभल जाइए! Income Tax का भारी झटका पड़ सकता है

एक ही वित्तीय वर्ष में नौकरी बदलने के बाद ITR फाइल करना थोड़ा जटिल हो सकता है, लेकिन सही तैयारी और सभी कंपनियों से लिए गए फॉर्म 16, फॉर्म 26AS और सटीक इनकम रिपोर्टिंग से यह प्रक्रिया सरल और प्रभावी बन सकती है। डबल डिडक्शन से बचना और पुरानी-नई नौकरी की पूरी सैलरी रिपोर्ट करना बेहद जरूरी है।

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हर साल बदलते हैं नौकरी? तो संभल जाइए! Income Tax का भारी झटका पड़ सकता है
Income Tax Rules

आज के कॉर्पोरेट युग में करियर ग्रोथ और बेहतर सैलरी पैकेज के लिए बार-बार नौकरी बदलना आम होता जा रहा है। एक ही फाइनेंशियल ईयर में दो या ज्यादा नौकरियां करना अब असामान्य नहीं रहा। लेकिन जब बात ITR फाइलिंग की आती है, तब ये बदलाव आपके लिए थोड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। नौकरी बदलने के बाद अगर आपने कुछ जरूरी बातों का ध्यान नहीं रखा, तो आपकी टैक्स फाइलिंग में गड़बड़ी हो सकती है, जो आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस तक दिला सकती है। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि एक ही वित्तीय वर्ष में नौकरी बदलने के बाद ITR फाइल करते समय किन बातों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

हर कंपनी से लें फॉर्म 16

अगर आपने एक ही फाइनेंशियल ईयर में दो या उससे ज्यादा कंपनियों में काम किया है, तो हर एम्प्लॉयर से Form 16 लेना न भूलें। यह फॉर्म आपके सैलरी ब्रेकअप, TDS डिडक्शन, और अन्य टैक्स डिटेल्स को दर्शाता है। ये जानकारी ITR फाइल करते समय जरूरी होती है ताकि आप पूरी इनकम और टैक्स की सही रिपोर्टिंग कर सकें। कई बार लोग केवल वर्तमान नियोक्ता से फॉर्म 16 लेते हैं, जिससे पुरानी नौकरी का टैक्स डाटा छूट जाता है और डिपार्टमेंट को मिसमैच दिखता है।

EPF, PPF और मेडिकल इंश्योरेंस का डबल डिडक्शन क्लेम करने से बचें

नौकरी बदलने के दौरान एक आम गलती होती है – EPF, PPF या मेडिकल इंश्योरेंस जैसे डिडक्शन को दो बार क्लेम करना। चूंकि इन्वेस्टमेंट पूरे साल के लिए होता है, लेकिन जब आप दो अलग-अलग कंपनियों से काम कर चुके होते हैं, तो दोनों नियोक्ताओं की ओर से टैक्स कैलकुलेशन में एक ही डिडक्शन दर्ज हो सकता है। इससे आप गलती से ITR में डबल क्लेम कर सकते हैं, जो टैक्स ऑडिट का कारण बन सकता है। ऐसे में यह जरूरी है कि आप खुद अपने इन्वेस्टमेंट को एक बार ही सही ढंग से रिपोर्ट करें।

फॉर्म 26AS से मिलान करना न भूलें

Form 26AS एक ऐसा दस्तावेज़ है जिसमें आपकी कुल इनकम, TDS डिडक्शन, और टैक्स पेमेंट की जानकारी होती है। यह फॉर्म आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध होता है और इसे देखकर आप जान सकते हैं कि आपके नाम पर कितना टैक्स पहले ही जमा हो चुका है। ITR फाइल करने से पहले इस फॉर्म की पूरी जांच करें ताकि किसी भी तरह के टैक्स क्रेडिट में गलती न हो और आपका रिफंड या अतिरिक्त टैक्स सही तरीके से निपट सके।

पुरानी नौकरी की सैलरी को रिपोर्ट करना न भूलें

नई नौकरी मिलने के बाद अक्सर लोग पिछली नौकरी की सैलरी रिपोर्ट करना भूल जाते हैं, जो एक बड़ी गलती है। टैक्स डिपार्टमेंट को दोनों नौकरियों की जानकारी होती है क्योंकि TDS के जरिए वह डेटा पहले से उनके पास रहता है। अगर आपने सिर्फ नई नौकरी की इनकम दिखाकर ITR फाइल किया, तो यह आपकी इनकम का गलत चित्रण होगा और आपको डिपार्टमेंट से नोटिस आ सकता है। इसलिए जरूरी है कि पुरानी और नई दोनों नौकरियों से मिली ग्रॉस इनकम को जोड़कर ही ITR फाइल करें।

ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट का टैक्सेशन ध्यान में रखें

अगर आपने अपनी पिछली कंपनी में पांच साल या उससे ज्यादा काम किया है, तो आपको Gratuity मिल सकती है जो 20 लाख रुपए तक टैक्स फ्री होती है। इसके अलावा Leave Encashment की भी अलग से टैक्स नियम होते हैं। ये रकम आपकी टैक्सेबल इनकम को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए इन सभी डिटेल्स को सही ढंग से अपने ITR में शामिल करें।

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