UP School Shutdown: यूपी के इस जिले में 150 से ज्यादा स्कूल होंगे बंद, ये है असल वजह

गोंडा जिले में 163 अवैध स्कूलों और मदरसों को बंद करने का आदेश शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जिला प्रशासन ने 15 दिन में कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। यह कदम उन संस्थानों पर प्रहार है जो बिना मान्यता बच्चों के भविष्य से खेल रहे थे। अब सरकार की योजना है कि सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़े और गुणवत्ता में सुधार हो।

Published On:
UP School Shutdown: यूपी के इस जिले में 150 से ज्यादा स्कूल होंगे बंद, ये है असल वजह
UP School Shutdown

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए एक कठोर प्रशासनिक कदम उठाया गया है। गोंडा जिले में 163 अवैध स्कूल और मदरसे बंद करने के आदेश जिलाधिकारी नेहा शर्मा द्वारा जारी किए गए हैं। इस आदेश में संबंधित तहसीलदारों, खंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) और थानाध्यक्षों को निर्देशित किया गया है कि वे 15 दिनों के भीतर इन अवैध शिक्षण संस्थानों को बंद कर दें।

बिना मान्यता और बुनियादी सुविधाओं के चल रहे थे स्कूल

बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संकलित रिपोर्ट में पाया गया कि कई स्कूल और मदरसे बिना वैध मान्यता के चल रहे हैं। इनमें न तो प्रशिक्षित शिक्षक हैं और न ही भवन, शौचालय, पानी और सुरक्षा जैसे आवश्यक मानकों का पालन किया जा रहा है। Convent Schools और Madarsas सहित 163 संस्थानों को इस सूची में शामिल किया गया है।

बभनजोत और नवाबगंज: अवैध स्कूलों के केंद्र

गोंडा जिले के बभनजोत और नवाबगंज ब्लॉकों में सबसे अधिक अवैध स्कूल पाए गए हैं। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि शिक्षा विभाग समय रहते संज्ञान लेता, तो इतने बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होती।

अभिभावकों की जागरूकता की कमी बनी समस्या का कारण

अधिकतर अभिभावकों को इस बात की जानकारी ही नहीं होती कि जिस स्कूल में उनका बच्चा पढ़ रहा है, वह मान्यता प्राप्त है या नहीं। यह अनभिज्ञता बच्चों के भविष्य के लिए घातक सिद्ध हो रही है।

बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़

इन अवैध संस्थानों में न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठता है, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास को भी नुकसान पहुंचता है। कई स्कूलों में शिक्षा स्तर इतना कमजोर है कि बच्चों की नींव ही डगमगाने लगती है।

सरकारी स्कूलों पर पड़ा प्रभाव

गैरकानूनी स्कूलों की बढ़ती संख्या का असर सरकारी परिषदीय विद्यालयों पर भी पड़ा है। पिछले तीन वर्षों में लगभग 50,000 छात्रों ने सरकारी स्कूलों से नाम कटवाया है, जिससे इन स्कूलों की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ा।

प्रशासन की गंभीरता और अपेक्षित नतीजे

बेसिक शिक्षा अधिकारी अतुल कुमार तिवारी का मानना है कि इस कार्रवाई से सरकारी स्कूलों में पुनः नामांकन में बढ़ोतरी होगी। साथ ही, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का माहौल मिलेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब किसी भी अवैध स्कूल को बख्शा नहीं जाएगा।

बीते वर्षों की लापरवाही और अब की सक्रियता

हालांकि पिछले वर्षों में कुछ स्कूल संचालकों से बंदी का शपथपत्र लिया गया था, लेकिन वे स्कूल चोरी-छिपे चलते रहे। अब जब प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय है और 15 दिन की समयसीमा निर्धारित की गई है, तो उम्मीद है कि यह कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहेगी।

भविष्य की शिक्षा नीति के लिए संकेत

यदि यह अभियान सफल रहा, तो यह पूरे प्रदेश में एक उदाहरण बन सकता है कि शिक्षा से जुड़ी अनियमितताओं पर कैसे प्रभावी कार्रवाई की जाए। यह भविष्य की Education Policy के लिए भी एक मार्गदर्शक सिद्ध हो सकता है।

Follow Us On

Leave a Comment