
अगर आप महंगे पर्स, हैंडबैग, सनग्लासेज, लग्जरी एंटीक आर्टपीस या डिजाइनर जूते के शौकीन हैं और अक्सर इनकी खरीदारी करते हैं, तो अब आपको ज्यादा कीमत वाले इन सामानों पर एक अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़ेगा। सरकार ने 10 लाख रुपये से ज्यादा के लग्जरी आइटम पर 1% TCS (Tax Collection at Source) लगाने का फैसला लिया है। यह नया नियम 22 अप्रैल 2025 से पूरे देश में लागू हो चुका है।
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क्या है TCS और इसे कौन वसूलेगा?
TCS यानी टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स एक ऐसा टैक्स है, जिसे विक्रेता, डीलर या दुकानदार बिक्री के समय ग्राहक से वसूलता है और बाद में इसे सरकार के पास जमा कराता है। इस नियम को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 206C के तहत नियंत्रित किया जाएगा। इसका उद्देश्य हाई-वैल्यू खरीदारी पर नजर रखना और बड़े लेन-देन को इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में दर्ज कराना है।
नया नियम क्यों लागू किया गया?
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) के अनुसार, सरकार ने हाई-वैल्यू शॉपिंग पर पारदर्शिता लाने और कर प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए यह कदम उठाया है। बड़ी राशि के ट्रांजैक्शन अक्सर टैक्स चोरी का जरिया बनते हैं, जिन्हें अब ट्रैक करना आसान होगा। इस नए नियम के तहत, लग्जरी प्रोडक्ट्स की खरीद पर सरकार को भी जानकारी मिलेगी और टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी होगी।
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कब किया गया था इस फैसले का ऐलान?
मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट में इस फैसले का ऐलान किया था। लोकसभा चुनाव 2024 के कारण 1 फरवरी को सप्लीमेंट्री बजट पेश किया गया था। इसके बाद सरकार बनने के बाद 23 जुलाई 2024 को संसद में फुल बजट पेश करते हुए लग्जरी सामानों की बिक्री पर 1% TCS लगाने का ऐलान किया गया। पहले इसे 1 जनवरी 2025 से लागू करने की योजना थी, लेकिन बाद में इसे 22 अप्रैल 2025 से प्रभावी कर दिया गया।
किन-किन लग्जरी आइटम्स पर लगेगा 1% TCS?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने उन लग्जरी आइटम्स की एक विस्तृत लिस्ट जारी की है, जिनकी कीमत अगर 10 लाख रुपये से अधिक होगी, तो उन पर 1% TCS वसूला जाएगा। इस सूची में शामिल हैं:
- घड़ियां
- पेंटिंग्स
- मूर्तियां
- एंटीक आइटम्स
- पुराने सिक्के
- पोस्टल स्टैंप्स
- यॉट्स
- हेलिकॉप्टर
- लग्जरी हैंडबैग्स
- सनग्लासेज
- महंगे जूते
- स्पोर्ट्स वियर
- स्पोर्ट्स इक्विपमेंट्स
- होम थिएटर सिस्टम्स
- रेस क्लबों में होर्स रेसिंग और पोलो के लिए घोड़े
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TCS की गणना कैसे होगी?
जब आप किसी लग्जरी आइटम को खरीदते हैं और उसकी कीमत 10 लाख रुपये से अधिक होती है, तो दुकानदार या विक्रेता बिक्री के समय ही 1% TCS काटेगा। उदाहरण के लिए, अगर आपने 11 लाख रुपये की एक ब्रांडेड घड़ी खरीदी है, तो आपको इसके ऊपर 1% यानी 11,000 रुपये TCS के रूप में अतिरिक्त देना पड़ेगा। इस टैक्स को बाद में विक्रेता सरकार के पास जमा करेगा।
उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ेगा?
नए नियम के लागू होने के बाद अब हाई-वैल्यू शॉपिंग करने वाले उपभोक्ताओं को अपनी खरीद के समय अतिरिक्त टैक्स देने के लिए तैयार रहना होगा। हालांकि, बाद में ग्राहक इस TCS को अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय एडजस्ट या क्लेम कर सकते हैं। इसका सीधा असर बड़े खरीददारों पर होगा जो नियमित रूप से महंगे लग्जरी आइटम्स खरीदते हैं।
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वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम
सरकार के इस फैसले को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे न केवल कर चोरी पर अंकुश लगेगा बल्कि टैक्स बेस भी बढ़ेगा। साथ ही, यह नीति हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शनों की मॉनिटरिंग को सरल बनाएगी, जिससे भारत में वित्तीय पारदर्शिता (Financial Transparency) को मजबूती मिलेगी।