वित्त वर्ष 2025-26 में टैक्सपेयर्स के सामने सबसे बड़ा सवाल है, नई टैक्स रीजीम चुनें या पुरानी? जहां नई व्यवस्था 12 लाख तक टैक्स फ्री इनकम और सरल स्ट्रक्चर देती है, वहीं पुरानी रीजीम निवेश और खर्चों पर भारी डिडक्शन की सुविधा देती है। कौन-सी आपके लिए बेहतर है, यह तय करने के लिए अपने वित्तीय प्रोफाइल और लाभ की तुलना करें।

नए वित्त वर्ष 2025-26 में टैक्सपेयर्स की पहली उलझन
वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत के साथ ही लाखों टैक्सपेयर्स के सामने यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि उन्हें पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) चुननी चाहिए या नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime)। इस उलझन की वजह है नई टैक्स नीति में 12 लाख तक की इनकम को टैक्स फ्री करना और पुराने सिस्टम में मिलने वाली डिडक्शन और छूटों की भरमार।
पुरानी टैक्स रीजीम: टैक्स बचाने का पारंपरिक तरीका
पुरानी टैक्स व्यवस्था उनके लिए बेहतर है जो निवेश, बीमा, लोन और अन्य खर्चों के जरिए टैक्स में कटौती करना चाहते हैं। इसमें सेक्शन 80C से लेकर HRA और LTA जैसी छूटें उपलब्ध हैं। अगर आप साल भर में टैक्स सेविंग स्कीम्स में निवेश करते हैं, तो आप अपनी टैक्स लायबिलिटी को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
प्रमुख छूटें:
- 80C: PPF, EPF, ELSS आदि – ₹1.5 लाख तक
- 80D: हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम – ₹25,000 से ₹50,000
- 80E: एजुकेशन लोन का ब्याज – अधिकतम 8 वर्षों तक
- 80GG: किराए पर रहने पर – ₹5,000 प्रति माह तक
- HRA, LTA, 80U, 80TTA/TTB जैसी अतिरिक्त छूटें भी लागू होती हैं।
नई टैक्स रीजीम: कम स्लैब, कम झंझट
नई कर व्यवस्था खासकर उनके लिए है जो निवेश की जटिलता से बचना चाहते हैं और एक सरल टैक्स स्ट्रक्चर को प्राथमिकता देते हैं। इसमें डिडक्शन सीमित हैं लेकिन स्लैब दरें कम हैं। FY 2025-26 से 12 लाख तक की आय टैक्स फ्री है।
प्रमुख लाभ:
- ₹75,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन (FY 2024-25)
- 80CCD(2): NPS में नियोक्ता का योगदान – वेतन का 14%
- 80JJAA: नए रोजगार देने पर छूट
- VRS, ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट पर छूट
- Agniveer Corpus Fund में योगदान पर पूरी छूट
आपके लिए कौन-सी टैक्स व्यवस्था बेहतर?
पुरानी टैक्स व्यवस्था चुनें अगर:
- आपने सालभर में पर्याप्त निवेश किया है
- हेल्थ या एजुकेशन लोन लिया हुआ है
- मकान किराए और यात्रा भत्तों का लाभ मिलता है
- टैक्स सेविंग स्कीम्स जैसे PPF, ELSS, LIC आदि में निवेश करते हैं
नई टैक्स व्यवस्था चुनें अगर:
- आप कम निवेश करते हैं
- सरल टैक्स स्ट्रक्चर चाहते हैं
- टैक्स सेविंग के झंझट से बचना चाहते हैं
- नौकरीपेशा हैं और सिर्फ स्टैंडर्ड डिडक्शन ही लेना चाहते हैं
नई टैक्स रीजीम और पुरानी टैक्स रीजीम दोनों के अपने-अपने फायदे हैं। सही चुनाव आपकी वित्तीय स्थिति, निवेश की आदत और टैक्स प्लानिंग पर निर्भर करता है। निर्णय लेने से पहले टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग करें या किसी प्रोफेशनल टैक्स एडवाइजर से सलाह लें।