
सरकार ने Petrol Diesel Price News Today के तहत पेट्रोल पर 8.02 रुपए प्रति लीटर और हाई स्पीड डीजल पर 7.01 रुपए प्रति लीटर की लेवी बढ़ा दी है। इससे पेट्रोल अब 254.63 रुपए प्रति लीटर और डीजल 258.64 रुपए प्रति लीटर पर स्थिर रहेगा। यह बढ़ोतरी उस समय की गई है जब लोग पहले से ही महंगाई से परेशान हैं।
महंगे डीजल से हर सामान की कीमत पर असर
यहाँ चर्चा की गई है कि डीजल ट्रांसपोर्ट सेक्टर की रीढ़ है और जैसे ही डीजल की कीमतें बढ़ती हैं, वैसे ही सभी वस्तुओं की ट्रांसपोर्टिंग कॉस्ट बढ़ जाती है। नतीजतन, हर रोज़ की वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ने लगती हैं। इसलिए यह बढ़ोतरी सिर्फ ईंधन तक सीमित नहीं रहती, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था पर असर डालती है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता, लेकिन पाकिस्तान में महंगा क्यों?
इस भाग में बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेंट क्रूड की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल तक गिर चुकी है। इस गिरावट को देखते हुए लोगों को उम्मीद थी कि देश में भी ईंधन सस्ता होगा। लेकिन इसके उलट, सरकार ने कीमतें कम करने के बजाय टैक्स बढ़ा दिया, जिससे लोगों को निराशा हाथ लगी।
OGRA की सिफारिशें और सरकार की अनदेखी
OGRA (Oil & Gas Regulatory Authority) ने सरकार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की सिफारिश की थी:
- पेट्रोल में 8.27 रुपए प्रति लीटर
- हाई स्पीड डीजल में 96 रुपए
- केरोसिन और लाइट स्पीड डीजल में 7.21 रुपए प्रति लीटर की कटौती
लेकिन सरकार ने इन सिफारिशों को लागू नहीं किया, जिससे आम जनता को मिलने वाली राहत टल गई।
टैक्स बढ़ाकर राजस्व बचाने की कोशिश या जनता पर बोझ?
सरकार ने कीमतों में कटौती करने की बजाय लेवी बढ़ाकर राजस्व इकट्ठा करने का रास्ता चुना। लेकिन इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार अगर पारदर्शिता दिखाए और वैश्विक दरों के हिसाब से कीमत तय करें तो लोगों को राहत मिल सकती है।
घर का बजट डगमगाया
यह हिस्सा समझाता है कि जब ईंधन महंगा होता है, तो इसका असर सबसे पहले निम्न और मध्यम वर्ग पर पड़ता है। राशन, ट्रांसपोर्ट, स्कूल फीस, सब्जियां, दूध – सब कुछ महंगा हो जाता है। ऐसे में आम लोगों का घरेलू बजट गड़बड़ा जाता है।