
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (PMAY-G) के अंतर्गत देशभर में योग्य लाभार्थियों की पहचान हेतु सर्वे कार्य निरंतर जारी है। इस योजना का मूल उद्देश्य ग्रामीण भारत में ऐसे परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराना है, जो अभी भी बेघर हैं या कच्चे और असुरक्षित मकानों में जीवन यापन कर रहे हैं। भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पहले सर्वे की अंतिम तिथि 30 अप्रैल निर्धारित की गई थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 15 मई कर दिया गया है। यह निर्णय राज्यों से मिले अनुरोधों और सर्वे की प्रगति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
सभी राज्यों को मिला निर्देश, नियमित रूप से जारी रहेगा सर्वे कार्य
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में चल रहे सर्वे को 15 मई तक अनवरत जारी रखें। यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि कोई भी पात्र लाभार्थी योजना से वंचित न रह जाए। सर्वे के माध्यम से ग्रामीण इलाकों के उन परिवारों का सत्यापन किया जा रहा है जिनके पास स्थायी आवास नहीं है या जिनका आवास जर्जर स्थिति में है। इसके बाद सूची में उनका नाम शामिल किया जाता है, जो बाद में आवास स्वीकृति का आधार बनता है।
अब तक 3.66 लाख से अधिक नाम शामिल, रिपोर्ट भेजी जा रही है जिला मुख्यालय
विभिन्न जिलों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अब तक 3,66,000 से अधिक लाभार्थियों के नाम सूची में शामिल किए जा चुके हैं। यह संख्या प्रत्येक जिले के प्रखंडों द्वारा संकलित रिपोर्ट के आधार पर निर्धारित होती है, जिसे आगे जिला मुख्यालय को भेजा जा रहा है। रिपोर्ट की जांच और सत्यापन के बाद, अंतिम सूची बनाकर राज्य स्तर पर भेजी जाती है, जहाँ से संबंधित जिलों को उनके लक्ष्य आवंटित किए जाते हैं।
वेरिफिकेशन की प्रक्रिया: बीडीओ और जिला स्तर पर होगा सत्यापन
लाभार्थियों की अंतिम सूची तैयार करने से पहले दो स्तरों पर सत्यापन प्रक्रिया अपनाई जाती है। पहले बीडीओ (खंड विकास पदाधिकारी) स्तर पर 10 प्रतिशत और फिर जिला स्तर पर 2 प्रतिशत मामलों का परीक्षण किया जाता है। बीडीओ संतोष कुमार के अनुसार यह प्रक्रिया पारदर्शिता और पात्रता की जांच सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है। सत्यापन के बाद ही लाभार्थियों को योजना का लाभ मिलता है।
जीविका से जुड़े परिवारों के लिए बड़ी राहत, अब मिलेगा योजना का लाभ
प्रधानमंत्री आवास योजना-Gramin में अब सतत जीविकोपार्जन योजना (Sustainable Livelihood Scheme) से जुड़े गरीब परिवारों को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया है। ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव ने सभी उप विकास आयुक्तों को पत्र भेजकर निर्देशित किया है कि जीविका से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े परिवारों का भी सर्वे किया जाए। यह निर्णय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के अनुरोध के बाद लिया गया है।
विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य कमजोर वर्गों के ऐसे परिवार, जो आजीविका के साधनों से तो जुड़े हैं लेकिन उनके पास आवास नहीं है, उन्हें इस योजना के तहत आवास का अधिकार मिलेगा। यह समावेशी कदम सामाजिक न्याय और समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक बड़ी पहल है।
ग्रामीण विकास के लिए मजबूत आधार: पक्का घर, आत्मनिर्भरता की ओर पहला कदम
प्रधानमंत्री आवास योजना-Gramin न केवल आवास प्रदान करती है, बल्कि यह ग्रामीण परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहला मजबूत कदम भी है। एक सुरक्षित और पक्का घर जहां बच्चों की पढ़ाई हो सके, स्वास्थ्य की देखभाल हो सके और सामाजिक सम्मान बना रहे, ग्रामीण भारत में जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
इस योजना के विस्तार और सर्वे कार्य के पुनर्निधारण से लाखों परिवारों को एक नई उम्मीद मिली है। यह योजना सरकार की “सभी के लिए आवास” (Housing for All) नीति को साकार करने में एक महत्वपूर्ण कड़ी बन चुकी है।