
उत्तर प्रदेश में अब प्रीपेड स्मार्ट मीटर (Prepaid Smart Meters) की सुविधा शुरू हो गई है, जिससे बिजली उपभोक्ताओं को न सिर्फ पारदर्शिता मिलेगी, बल्कि गलत बिल और बिजली चोरी जैसी समस्याओं से भी निजात मिलेगी। यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के चेयरमैन आशीष गोयल ने अपने गौतमपल्ली स्थित आवास पर प्रदेश का पहला प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगवाकर इस योजना की औपचारिक शुरुआत की। यह कदम राज्य में बिजली वितरण प्रणाली को आधुनिक और डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन है।
बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी सुविधा
प्रदेश भर में कुल 3 करोड़ 9 लाख 78 हजार उपभोक्ताओं के यहां प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य है, जिनमें से 28 लाख 45 हजार 274 से अधिक मीटर पहले ही लगाए जा चुके हैं। इन मीटरों की खासियत यह है कि उपभोक्ता अब अपनी बिजली खपत को रियल-टाइम में देख और नियंत्रित कर सकते हैं। मीटर को एक क्लिक में मोबाइल ऐप या ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से रिचार्ज किया जा सकता है, जिससे बिलिंग प्रणाली पूरी तरह डिजिटल और उपभोक्ता-केंद्रित हो जाती है।
यूपी में बिजली का झटका! 5 साल बाद महंगी हुई बिजली, हर महीने देना होगा सरचार्ज
बिजली चोरी पर रोक और पारदर्शी वितरण प्रणाली
प्रीपेड स्मार्ट मीटर बिजली चोरी को रोकने में अहम भूमिका निभाएंगे। इनकी मदद से न केवल उपभोक्ताओं को अपनी खपत का सटीक ब्योरा मिलेगा, बल्कि लोड मैनेजमेंट की सुविधा भी मिलेगी, जिससे अधिक खपत की स्थिति में अलर्ट मिल सकेगा। यह Renewable Energy के साथ ऊर्जा प्रबंधन की दिशा में भी एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है।
सरकारी भवनों में भी तेज़ी से इंस्टॉलेशन
यूपी सरकार इस योजना को केवल आवासीय उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं रख रही, बल्कि सरकारी भवनों में भी स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। डीएम कार्यालयों, पुलिस और प्रशासनिक कार्यालयों, न्यायिक परिसरों और यहां तक कि राज्य सूचना आयोग तक में अब स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। यह कदम प्रशासनिक पारदर्शिता को और मज़बूत करेगा।
आईएएस अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की भी भागीदारी
प्रदेश के कई वरिष्ठ अधिकारी और जन प्रतिनिधि इस योजना में खुद हिस्सा ले रहे हैं। राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर और अनेक विधायक अपने घरों पर स्मार्ट मीटर लगवा चुके हैं, जिससे आम जनता को यह संदेश मिल रहा है कि यह योजना हर नागरिक के लिए लाभकारी है।