Property: अगर दादा, पिता या भाई संपत्ति में हिस्सा न दें तो क्या करें? जानिए कानूनी रास्ता!

आज के छोटे परिवारों के दौर में Property Dispute तेजी से बढ़ रहे हैं। पैतृक संपत्ति में बेटे और बेटियों दोनों का समान अधिकार होता है, जिसे कानूनी तरीके से सुरक्षित किया जा सकता है। यदि दादा, पिता या भाई संपत्ति में हिस्सा नहीं देते हैं, तो कोर्ट का सहारा लेना उचित उपाय है। सही जानकारी और समय पर कार्रवाई से अपना अधिकार सुरक्षित करें।

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Property: अगर दादा, पिता या भाई संपत्ति में हिस्सा न दें तो क्या करें? जानिए कानूनी रास्ता!
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आज के सामाजिक परिदृश्य में, जहां पहले संयुक्त परिवारों का वर्चस्व था, अब छोटे और एकल परिवारों का चलन आम हो गया है। इसी परिवर्तन के साथ Property Dispute यानी संपत्ति विवाद भी तेजी से बढ़ने लगे हैं। अक्सर देखने में आता है कि दादा, पिता या भाई द्वारा पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी देने से इनकार कर दिया जाता है, जिससे परिवारों में तनाव उत्पन्न होता है। ऐसे में यह जानना बेहद आवश्यक हो जाता है कि ऐसे विवादों से निपटने के लिए क्या कानूनी अधिकार और उपाय उपलब्ध हैं।

क्या होती है पैतृक संपत्ति? (Property Dispute)

पैतृक संपत्ति वह होती है जो किसी व्यक्ति को जन्म से उसके पूर्वजों से प्राप्त होती है, न कि स्वयं अर्जित होती है। अगर संपत्ति चार पीढ़ियों तक बिना किसी विभाजन के चली आ रही है, तो उसे पैतृक संपत्ति माना जाता है। इसमें जन्म के साथ ही स्वाभाविक अधिकार मिल जाता है, और इसका मालिकाना हक पिता, पुत्र, पौत्र और प्रपौत्र तक फैला होता है। यह अधिकार स्वतः प्राप्त होता है और इसे किसी वसीयत की आवश्यकता नहीं होती।

पैतृक संपत्ति में किसका कितना हक होता है? (Ancestral Property)

Ancestral Property में बेटे और बेटी दोनों का समान अधिकार होता है। इसका विभाजन तभी किया जा सकता है जब सभी हिस्सेदार आपसी सहमति से तैयार हों। अगर कोई सदस्य संपत्ति बेचना चाहता है तो भी अन्य हिस्सेदारों की सहमति आवश्यक है। यह नियम सभी के लिए समान है और इसमें लिंग, वैवाहिक स्थिति या उम्र के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता।

अगर संपत्ति में हिस्सा न मिले तो क्या करें? (Property Rules)

अगर दादा, पिता या भाई आपको पैतृक संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार करते हैं, तो सबसे पहले उन्हें एक कानूनी नोटिस भेजना चाहिए। अगर बातचीत से समाधान नहीं निकलता, तो सिविल कोर्ट में Partition Suit दाखिल किया जा सकता है। कोर्ट से स्थगन आदेश (Stay Order) भी लिया जा सकता है, ताकि संपत्ति को बिक्री या हेरफेर से बचाया जा सके। यदि संपत्ति बिक्री के दौरान विवाद में चली जाती है, तो नए खरीदार को भी मामले में शामिल कर दावा कायम रखा जा सकता है।

बेटियों का पैतृक संपत्ति में अधिकार (Property Laws)

हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के तहत बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में समान अधिकार मिला है। पहले बेटियों को केवल कुछ सीमित परिस्थितियों में ही हिस्सा मिलता था, लेकिन अब वे जन्म से ही उत्तराधिकारी बन जाती हैं, चाहे उनकी शादी हो गई हो या नहीं। यह कानून बेटियों को भी परिवार के आर्थिक संसाधनों पर बराबर का हक देता है और उन्हें न्यायिक संरक्षण प्रदान करता है। इसलिए अगर कोई बेटी पैतृक संपत्ति में अपना हिस्सा मांग रही है, तो वह पूरी तरह से कानून के तहत संरक्षित है और अपने अधिकार का दावा कर सकती है।

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