
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए बिहार की नीतीश सरकार को बड़ा झटका दिया है। इस फैसले के तहत तांती-ततवां समुदाय को अनुसूचित जाति (Scheduled Caste-SC) की सूची से बाहर कर दिया गया है। यह फैसला उन तमाम राजनीतिक और सामाजिक निर्णयों पर सवाल उठाता है जिनके तहत राज्य सरकार ने तांती-ततवां को पान-स्वांसी का पर्याय मानकर अनुसूचित जाति के तहत शामिल कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश और संविधानिक व्याख्या
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा शामिल थे, ने यह स्पष्ट किया कि अनुसूचित जाति की सूची में कोई भी बदलाव केवल संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है। राज्य सरकार को इस प्रकार का संशोधन करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा बाध्यकारी नहीं है और उसे अनुसूचित जातियों की सूची में किसी भी जाति को शामिल करने की सिफारिश का अधिकार नहीं है।
सरकारी नौकरी पाए लोगों को नहीं मिलेगी सजा, पर बदलनी होगी श्रेणी
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में यह भी उल्लेख किया कि तांती-ततवां जाति के उन लोगों के विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी जिन्होंने अनुसूचित जाति के आरक्षण के तहत नौकरी प्राप्त की थी। लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अब अति पिछड़ा वर्ग (Extremely Backward Class-EBC) के तहत समाहित हों। इस बदलाव से जो रिक्तियाँ उत्पन्न होंगी, उन्हें अनुसूचित जाति के योग्य उम्मीदवारों से भरा जाए।
राज्य सरकार की अधिसूचना को घोषित किया असंवैधानिक
2015 में बिहार सरकार द्वारा जारी अधिसूचना, जिसके जरिए तांती-ततवां को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया था, अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दी गई है। यह अधिसूचना राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा के आधार पर जारी की गई थी, जिसमें तांती-ततवां को पान-स्वांसी का पर्याय मानते हुए शामिल किया गया था। कोर्ट ने इस अधिसूचना को संविधान विरोधी करार दिया और सरकार की नीयत पर भी सवाल खड़े किए हैं।
पटना हाई कोर्ट के फैसले को भी बताया गलत
इस मामले में पहले पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के निर्णय को सही ठहराया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की इस व्याख्या पर प्रतिकूल टिप्पणी की है। कोर्ट ने साफ कहा कि यह मामला संविधान से जुड़ा है और संसद की अनुमति के बिना किसी भी प्रकार का परिवर्तन अवैधानिक होगा।