Divorce Rules 2025: तलाक के लिए क्या है एकतरफा और आपसी सहमति से तलाक के अधिकार? जानें नए नियम

2025 में तलाक-Divorce से जुड़े कानूनों में कई अहम बदलाव किए गए हैं जिससे प्रक्रिया तेज और सरल हो गई है। अब 6 महीने का इंतजार अनिवार्य नहीं है और एकतरफा तलाक के लिए भी स्पष्ट नियम हैं। तलाक से जुड़ी लागत, दस्तावेज़, महिला और पुरुष के अधिकार, बच्चों की कस्टडी, सब कुछ इस लेख में विस्तार से बताया गया है, जो इसे एक सम्पूर्ण गाइड बनाता है।

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Divorce Rules 2025: तलाक के लिए क्या है एकतरफा और आपसी सहमति से तलाक के अधिकार? जानें नए नियम
Divorce Rules 2025

दोस्तों, अक्सर तलाक-Divorce से जुड़ी कानूनी प्रक्रियाएं और नए नियम लोगों को उलझन में डाल देते हैं। खासकर जब 2025 में तलाक के कानूनों में बदलाव हुए हैं, तो यह जानना और भी जरूरी हो जाता है कि अब Divorce कैसे होता है, इसके खर्चे क्या हैं, महिला और पुरुष के अधिकार क्या हैं, और आपसी सहमति व एकतरफा तलाक के नए नियम क्या हैं। इस लेख में हम इन्हीं सभी पहलुओं को विस्तार से और बिल्कुल स्पष्ट तरीके से समझाएंगे, ताकि आपकी हर शंका दूर हो जाए।

तलाक क्या है और इसे क्यों लिया जाता है?

तलाक या Divorce, विवाह के उस रिश्ते का अंत होता है जिसे पति और पत्नी आपसी सहमति या कानूनी प्रक्रिया के तहत खत्म करते हैं। हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा 13 इस विषय में कानूनी अधिकार देती है। जब कोई दंपति अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट नहीं होता या उनके बीच विश्वास की कमी हो जाती है, तो वे तलाक के माध्यम से कानूनी रूप से अलग हो सकते हैं।

तलाक मुख्यतः दो प्रकार से लिया जा सकता है—आपसी सहमति (Mutual Consent Divorce) और एकतरफा तलाक (Unilateral Divorce)। दोनों की प्रक्रियाएं और नियम अलग-अलग होते हैं, जिन्हें विस्तार से समझना आवश्यक है।

तलाक के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं?

समय के साथ सामाजिक संरचनाएं बदली हैं और रिश्तों में भी जटिलताएं आई हैं। तलाक के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि—

  1. विश्वास की कमी और धोखा
  2. घरेलू हिंसा, मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना
  3. आपसी सहयोग की कमी
  4. अवैध संबंध
  5. पति या पत्नी का अप्राकृतिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करना

इनमें से कोई भी कारण तलाक की मजबूत आधारशिला बन सकता है और कोर्ट इन्हें गंभीरता से लेता है।

शादी के कितने समय बाद तलाक लिया जा सकता है?

हिन्दू मैरिज एक्ट के अनुसार, शादी के 12 महीने बाद ही तलाक की याचिका दायर की जा सकती है। अगर पति-पत्नी एक वर्ष तक अलग रहते हैं और संबंधों में सुधार की कोई संभावना नहीं है, तो वे आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं।

तलाक के नए नियम 2025 में क्या बदला?

2025 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तलाक की प्रक्रिया को सरल और तेज करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। पहले आपसी सहमति से तलाक के लिए 6 महीने का कूलिंग पीरियड जरूरी था, लेकिन अब कोर्ट की अनुमति से इसे कम किया जा सकता है। यह बदलाव उन दंपतियों के लिए राहत है जो पहले से ही रिश्ते से बाहर आना चाहते हैं।

आपसी सहमति से तलाक के नियम 2025 में कैसे हैं?

आपसी सहमति से तलाक के लिए आवश्यक है कि दोनों पक्ष एक वर्ष या उससे अधिक समय से साथ न रह रहे हों। इस स्थिति में वे कोर्ट में तलाक की पहली याचिका दाखिल करते हैं। पहले इसमें 6 महीने का कूलिंग ऑफ पीरियड होता था लेकिन अब कोर्ट की अनुमति से यह घटाया जा सकता है। दूसरी याचिका 18 महीनों के भीतर फाइल करनी होती है, वरना प्रक्रिया फिर से शुरू करनी पड़ सकती है।

एकतरफा तलाक के नए नियम 2025

यदि एक पक्ष तलाक नहीं चाहता, लेकिन दूसरे को रिश्ते से बाहर निकलना है तो एकतरफा तलाक का रास्ता अपनाया जा सकता है। इसके लिए निम्न आधार मान्य हैं:

  • विश्वासघात या अवैध संबंध
  • शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना
  • जबरन धर्म परिवर्तन
  • सन्यास लेना
  • सात वर्षों से अधिक समय तक गायब होना
  • नपुंसकता

इन सभी कारणों के पर्याप्त सबूत कोर्ट के समक्ष पेश करने होते हैं।

तलाक के लिए आवश्यक दस्तावेज

तलाक की याचिका दाखिल करने के लिए नीचे दिए गए दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:

  • विवाह प्रमाणपत्र (Marriage Certificate)
  • फोटो व अन्य सबूत
  • पहचान पत्र (Aadhar Card, PAN आदि)
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • अन्य आवश्यक कानूनी दस्तावेज

तलाक में कितना खर्च आता है?

तलाक की प्रक्रिया का खर्च कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि:

  • एकतरफा या आपसी सहमति से तलाक
  • बच्चों की कस्टडी
  • संपत्ति का विभाजन
  • वकील की फीस और कोर्ट फीस

आमतौर पर आपसी सहमति से तलाक में कम खर्च आता है, जबकि विवादित तलाक में खर्च अधिक हो सकता है।

डिवोर्स में महिला के अधिकार

हिंदू विवाह अधिनियम महिला को स्पष्ट रूप से तलाक लेने का अधिकार देता है। यदि महिला पर घरेलू हिंसा, मानसिक प्रताड़ना, या ससुराल द्वारा तंग करने का आरोप है तो वह तलाक की याचिका दाखिल कर सकती है। साथ ही, महिला को भरण-पोषण (Maintenance) का भी अधिकार मिलता है, जिससे वह जीवनयापन कर सके।

बच्चों की कस्टडी के नियम

बच्चों की कस्टडी तय करते समय उनकी उम्र, शिक्षा और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखा जाता है। पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की कस्टडी मां को मिलती है। नौ साल से ऊपर के बच्चे अपनी मर्जी से माता-पिता में से किसी एक को चुन सकते हैं।

तलाक के बाद जीवन कैसा होता है?

तलाक के बाद जीवन में कई बदलाव आते हैं। कुछ लोगों के लिए यह स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का रास्ता होता है, जबकि कुछ को अकेलेपन से जूझना पड़ता है। तलाक एक नया जीवन शुरू करने का अवसर भी देता है, और जरूरी है कि व्यक्ति आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े।

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