
ग्रेटर कैलाश पार्ट-2 स्थित बलवंत राय मेहता विद्या भवन में 25 अप्रैल की दोपहर एक चिंताजनक घटना सामने आई जब एक दिव्यांग छात्र के साथ उसकी शिक्षिका ने शारीरिक दुर्व्यवहार किया। यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब स्कूल की प्रधानाचार्य सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की समीक्षा कर रही थीं। वीडियो में शिक्षिका को छात्र के साथ बर्बरता करते हुए साफ़ देखा गया, जिससे स्कूल प्रबंधन स्तब्ध रह गया।
स्कूल प्रबंधन की त्वरित कार्रवाई
सीसीटीवी में घटना दिखाई देने के बाद स्कूल प्रशासन ने तुरंत शिक्षिका को छुट्टी पर भेज दिया और मामले की आंतरिक जांच शुरू की। 2 मई को हुई स्कूल प्रबंधन समिति की बैठक में सर्वसम्मति से शिक्षिका को नौकरी से निकालने का निर्णय लिया गया। स्कूल ने मामले को शिक्षा निदेशालय और छात्र के परिजनों के साथ साझा किया और आगे की कानूनी प्रक्रिया में भी सहयोग किया।
पुलिस जांच और एफआईआर दर्ज
दिल्ली पुलिस को इस घटना की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए शिक्षिका के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। सीसीटीवी फुटेज को सबूत के तौर पर कब्जे में लिया गया है। हालाँकि, खबर लिखे जाने तक शिक्षिका की गिरफ्तारी नहीं हुई थी, लेकिन उन्हें जांच में सम्मिलित होने का नोटिस जारी किया गया है।
शिक्षिका द्वारा नियमों का उल्लंघन
स्कूल की शिकायत में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि शिक्षिका ने स्कूल के आचार संहिता और शिक्षा निदेशालय के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है। एक दिव्यांग छात्र के साथ ऐसा व्यवहार न केवल नैतिक रूप से अनुचित है, बल्कि यह देश के शिक्षा प्रणाली की मूल भावना के विपरीत है, जहाँ हर छात्र को सम्मान और सुरक्षा का अधिकार है।
दिव्यांग छात्रों की सुरक्षा और स्कूलों की जिम्मेदारी
यह घटना समावेशी शिक्षा (Inclusive Education) की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़े करती है। दिव्यांग छात्रों को सामान्य छात्रों की तरह ही सम्मान और सहयोग की आवश्यकता होती है, बल्कि उनसे कहीं अधिक संवेदनशीलता की दरकार होती है। स्कूलों को अपने शिक्षकों को सेंसेटिविटी ट्रेनिंग देना आज के समय की एक बड़ी ज़रूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।