NEET UG 2025 में टॉप करना हुआ बेहद मुश्किल! कम नंबर वालों को भी मिल सकती है सरकारी MBBS सीट

NEET UG 2025 का पेपर अब तक का सबसे कठिन माना जा रहा है, जिससे MBBS की सरकारी सीट के लिए कटऑफ में 100 अंक तक की गिरावट की संभावना है। फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी तीनों में छात्रों के अंक सामान्य से काफी कम रहे हैं, जिससे औसतन स्कोर 200 अंक तक गिरा है। परिणामों के बाद एडमिशन की स्थिति स्पष्ट होगी।

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NEET UG 2025 में टॉप करना हुआ बेहद मुश्किल! कम नंबर वालों को भी मिल सकती है सरकारी MBBS सीट
NEET UG 2025

देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी-NEET UG 2025 4 मई को संपन्न हो चुकी है, और इस बार आए कठिन पेपर की चर्चा चारों तरफ है। परीक्षा में शामिल छात्रों और कोचिंग एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बार पेपर इतना टफ रहा कि MBBS एडमिशन-Admission in MBBS की कटऑफ 100 अंकों से भी नीचे जा सकती है। कोटा जैसे शिक्षा हब के कोचिंग विशेषज्ञ मानते हैं कि यह अब तक का सबसे कठिन NEET पेपर था, जिससे छात्रों का स्कोर सामान्य से कहीं ज्यादा गिरा है।

नीट यूजी 2025: अब तक का सबसे कठिन पेपर

एलन कोचिंग संस्थान के निदेशक डॉ. बृजेश माहेश्वरी ने बताया कि इस साल पेपर में न केवल कठिन सवाल थे, बल्कि समय की भी भारी कमी महसूस हुई। कई छात्रों का स्कोर पिछले साल की तुलना में 200 अंक तक गिर गया है। एक उदाहरण में बताया गया कि पिछले साल 650 अंक लाने वाले एक छात्र का इस बार स्कोर केवल 351 आया है, जिसमें बायोलॉजी में 270, केमिस्ट्री में 70 और फिजिक्स में केवल 11 अंक आए। यह बताता है कि पेपर की कठिनाई ने प्रदर्शन पर सीधा असर डाला है।

कटऑफ में ऐतिहासिक गिरावट की संभावना

पिछले वर्ष NEET UG में 720 में से 720 अंक लाने वाले 17 छात्र थे। इस साल विशेषज्ञ मानते हैं कि परफेक्ट स्कोर आना नामुमकिन है। शिक्षा विशेषज्ञ देव शर्मा का मानना है कि इस बार कटऑफ जनरल और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए 130-135 अंक, और ओबीसी, एससी व एसटी कैटेगरी के लिए 104-108 अंक तक जा सकती है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 20 से 30 अंक की गिरावट है।

फिजिक्स बना सबसे बड़ी चुनौती

NEET UG 2025 में फिजिक्स ने सबसे अधिक छात्रों को परेशान किया। विशेषज्ञों का कहना है कि 180 अंकों के 45 प्रश्नों में से अधिकांश छात्र केवल 25 प्रश्न हल कर पाए। औसतन छात्रों के 80 अंक केवल फिजिक्स में कम हुए हैं। वहीं, केमिस्ट्री और बायोलॉजी जैसे स्कोरिंग विषयों में भी छात्रों को राहत नहीं मिली।

डॉ. माहेश्वरी ने बताया कि बायोलॉजी में जहां पहले छात्र 345 तक स्कोर कर लेते थे, इस बार अधिकांश 270 अंक के आसपास ही अटक गए। प्रश्नों के लंबे स्टेटमेंट्स और एनालिटिकल अप्रोच ने परीक्षा को पहले से ज्यादा थकाऊ और पेचीदा बना दिया।

काउंसलिंग में क्या होगा असर?

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि क्वालीफाइंग कटऑफ के गिरने से ज्यादा महत्वपूर्ण बात है एडमिशन कटऑफ में गिरावट। पिछले साल जनरल कैटेगरी के छात्रों को 652 अंक पर सरकारी MBBS सीट मिली थी, जबकि इस बार संभव है कि 550 या उससे भी कम अंक वालों को सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिल जाए।

हालांकि, जिन छात्रों के अंक बहुत नीचे हैं, उनके लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मुश्किल हो सकता है, लेकिन निजी कॉलेज में प्रवेश का विकल्प खुला रहेगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि प्राइवेट कॉलेजों की फीस करोड़ों में पहुंच सकती है, जो सभी छात्रों के लिए व्यावहारिक नहीं है।

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