
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सामाजिक न्याय और समावेशन की दिशा में किए गए प्रयासों के अंतर्गत OBC (पिछड़ी जाति), SC (अनुसूचित जाति), और ST (अनुसूचित जनजाति) के अंतर्गत कई उपजातियों को आधिकारिक रूप से सूचीबद्ध किया गया है। यह पहल न केवल आरक्षण नीति के सही क्रियान्वयन में सहायक है, बल्कि इससे जातिगत पहचान और सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की स्पष्ट पहचान भी संभव हो पाती है।
जातिगत वर्गीकरण
उत्तर प्रदेश में जातियों की स्थिति का विश्लेषण करें तो दलित और पिछड़े वर्ग (OBC) की जनसंख्या और प्रभाव, सामाजिक एवं राजनीतिक दोनों ही संदर्भों में महत्वपूर्ण है। इन वर्गों की उपजातियों की पहचान करना कई कारणों से आवश्यक है—प्रशासनिक सुविधा, आरक्षण प्रणाली की पारदर्शिता, और सामाजिक योजनाओं का न्यायसंगत वितरण।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर उपलब्ध उत्तर प्रदेश लोकसेवा आरक्षण अधिनियम 1994 की अनुसूची-1 के अंतर्गत मान्यता प्राप्त उपजातियों की एक विस्तृत सूची है, जिससे यह निर्धारित किया जा सकता है कि किस व्यक्ति की जाति किस वर्ग में आती है।
सरकारी योजनाओं में इन उपजातियों की भूमिका
राज्य और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही Reservation, Scholarship, Self Employment Scheme, Skill Development Program, और Higher Education Admission जैसी योजनाएं इन्हीं उपजातियों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। इसी के आधार पर प्रथम से चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरियों में सीटें आरक्षित होती हैं। जातीय पहचान से जुड़ी यह सूची सरकारी प्रमाणपत्रों, जैसे जाति प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र आदि के लिए भी आधार बनती है।
OBC (Other Backward Class) में शामिल प्रमुख उपजातियां
OBC वर्ग में कुर्मी, यादव, अहीर, केवट/मल्लाह, कुम्हार, प्रजापति, लोहार, तेली, गड़ेरिया, धींवर, बंजारा, बढ़ई, कसगर, मोची, धोबी, मौर्य, निषाद, जैसे दर्जनों उपजातियां शामिल हैं। इसके अंतर्गत मुस्लिम जातियां जैसे कुंजड़ा (राईन), इदरीसी, कुरैशी, मुस्लिम कायस्थ, भी सूचीबद्ध हैं।
यह वर्ग सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा माना गया है और इसके अंतर्गत आने वाले लोग सरकार की विभिन्न योजनाओं और आरक्षण का लाभ प्राप्त करते हैं। इस वर्ग की सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा, रोजगार और प्रतिनिधित्व के क्षेत्र में बराबरी हासिल करना रहा है।
SC (Scheduled Caste) के अंतर्गत उपजातियां और सामाजिक योगदान
अनुसूचित जाति में चमार, जाटव, धोबी, पासी, कोरी, डोम, दुसाध, मुसहर, बाल्मीकि, बांसफोर, घसिया, जैसी उपजातियां शामिल हैं। इन जातियों को ऐतिहासिक रूप से शोषण और भेदभाव का सामना करना पड़ा है, जिसके चलते सरकार ने इनके सामाजिक एवं शैक्षिक उन्नयन के लिए विशेष आरक्षण और योजनाएं आरंभ की हैं।
SC समुदाय की कई उपजातियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जैसे सफाईकर्मी, बुनकर, कृषि मजदूर आदि। बालिका शिक्षा, उच्च शिक्षा में दाखिला, और स्वरोजगार की योजनाएं इन वर्गों के लिए विशेष रूप से चलाई जाती हैं।
ST (Scheduled Tribe) वर्ग की विशेष पहचान
ST वर्ग में शामिल उपजातियां जैसे गोंड, थारू, बोक्सा, भोटिया, जौनसारी आदि, प्रदेश के सीमावर्ती व वनों से जुड़े इलाकों में निवास करती हैं। इन समुदायों की सांस्कृतिक पहचान, जीवनशैली और पारंपरिक ज्ञान को संरक्षण प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार विशेष प्रयास कर रही हैं।
ST समुदायों की आर्थिक निर्भरता वनों, कुटीर उद्योगों और कृषि पर है। इनकी पहचान और अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए वन अधिकार अधिनियम, आदिवासी कल्याण योजनाएं, और विशेष आरक्षण नीतियों की व्यवस्था की गई है।