
भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी आज देश की उस नारी शक्ति की प्रतीक बन चुकी हैं, जो जमीनी रणनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक देश का नाम रोशन कर रही हैं। हाल ही में भारत की ओर से पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत एक अहम भूमिका निभाने वाली कर्नल सोफिया अब इस सैन्य कार्रवाई की कहानी को दुनिया के सामने रख रही हैं। इस ऑपरेशन के तहत PoK में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक एयर स्ट्राइक की गई, जिसकी पुष्टि भारतीय सेना की महिला अधिकारी व्योमिका और विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ कर्नल सोफिया ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में की।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भारत ने न केवल अपनी सैन्य क्षमता और रणनीतिक परिपक्वता का प्रदर्शन किया, बल्कि दो महिला अधिकारियों को मंच पर लाकर यह भी दर्शाया कि अब युद्ध केवल हथियारों से नहीं, बल्कि निर्णय, नेतृत्व और विविधता की शक्ति से लड़े जाते हैं। यह एक स्पष्ट संदेश था—नारी शक्ति और धर्मनिरपेक्षता की साझा विरासत को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का।
कौन हैं लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी?
35 वर्षीय लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना के सिग्नल कोर में सेवाएं दे रही हैं और मूल रूप से गुजरात के वडोदरा की निवासी हैं। उन्होंने बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और 1999 में केवल 17 वर्ष की आयु में भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के अंतर्गत शामिल हुई थीं। उनके सैन्य संस्कार परिवार से ही आए हैं—उनके दादा सेना में सेवा दे चुके हैं और उनके पति भारतीय सेना की मेकेनाइज्ड इन्फेंट्री में अधिकारी हैं।
कर्नल सोफिया की उपलब्धियां केवल भारत के सीमाओं तक सीमित नहीं रहीं। मार्च 2016 में, वे ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ के तहत भारत की सेना टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। यह अब तक का सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास था, जो पुणे में आयोजित हुआ और जिसमें ASEAN के साथ-साथ अमेरिका, रूस, चीन, जापान, कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल थे। यह उनके रणनीतिक नेतृत्व, समन्वय कौशल और अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग की क्षमता को दर्शाता है।
Operation Sindoor: भारत की निर्णायक कार्रवाई
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की उन सर्जिकल स्ट्राइक्स की कड़ी में एक प्रमुख कदम है, जिसमें आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर देश ने अपनी सुरक्षा नीति में स्पष्टता और आक्रामकता दोनों दिखाई। पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों और PoK में चल रहे आतंकी अभियानों के खिलाफ यह हमला भारतीय इंटेलिजेंस और सेना की संयुक्त कार्यवाही का परिणाम था।
इस ऑपरेशन के माध्यम से भारत ने न केवल आतंकी गतिविधियों को कुचलने का प्रयास किया, बल्कि एक स्पष्ट संकेत भी दिया कि अब भारत की नीति ‘पहले वार सहना, फिर जवाब देना’ से बदलकर ‘पहले हमला, फिर संदेश’ की दिशा में अग्रसर है।