संसद के बनाएं कानून को नहीं बदल सकते सुप्रीम कोर्ट से क्यों बोली मोदी सरकार

Supreme Court में वक्फ संशोधन बिल को लेकर जबरदस्त घमासान मचा हुआ है। केंद्र सरकार ने संसद द्वारा बनाए गए कानून की वैधता का हवाला देते हुए सुप्रीम Court से उस पर रोक न लगाने की अपील की है। वक्फ भूमि में 20 लाख हेक्टेयर से अधिक की वृद्धि और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े सवालों के बीच इस मामले पर 5 मई को अहम सुनवाई होने जा रही है।

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संसद के बनाएं कानून को नहीं बदल सकते सुप्रीम कोर्ट से क्यों बोली मोदी सरकार
संसद के बनाएं कानून

Supreme Court में वक्फ संशोधन बिल को लेकर देशभर में घमासान मचा हुआ है। कई शहरों में इस बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है, जहां इसकी वैधता को चुनौती दी गई है। बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे की टिप्पणी ने इस विवाद को और हवा दी है। केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है।

केंद्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में पक्ष

केंद्र सरकार ने सुप्रीम Court में कहा है कि संसद द्वारा बनाए गए कानून की वैधता को देखते हुए उस पर रोक नहीं लगाई जा सकती। सरकार ने कोर्ट में जवाबी हलफनामा दायर कर वक्फ संशोधन कानून का बचाव किया है। सरकार का कहना है कि बिना अंतिम फैसला आए किसी कानून पर रोक लगाना सही नहीं होगा।

वक्फ भूमि में चौंकाने वाली बढ़ोतरी

सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20 लाख हेक्टेयर से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। मुगल काल, आजादी से पहले और आजादी के बाद के समय में कुल 18,29,163.896 एकड़ जमीन वक्फ के नाम पर दर्ज थी। यह जानकारी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव शेरशा सी शेख मोहिद्दीन ने दी है।

सरकार का तर्क: धार्मिक स्वतंत्रता नहीं छीनी गई

केंद्र सरकार का कहना है कि वक्फ संशोधन बिल को इस झूठे आधार पर चुनौती दी गई है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। सरकार ने कहा कि सुप्रीम Court संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत कानूनों की वैधता की जांच कर सकता है, लेकिन पूरे संशोधन को बिना जांच के रोकना गलत होगा।

संसदीय पैनल द्वारा किया गया था विस्तृत अध्ययन

सरकार ने यह भी बताया कि यह संशोधन संसद के एक पैनल द्वारा गहन अध्ययन और विश्लेषण के बाद किया गया है, जिसमें प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल थे। इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

अगली सुनवाई कब होगी

Supreme Court में इस मामले पर 5 मई को अगली सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ इस दिन अंतरिम आदेश के मुद्दे पर विचार करेगी।

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