
‘World War 3 Predictions’ और ‘Third World War’ जैसे कीवर्ड आज फिर चर्चा में हैं, और इसके पीछे वजह है 16वीं सदी में लिखी गई रहस्यमयी किताब ‘भविष्य मालिका’। इस ग्रंथ में संत अच्युतानंद दास ने तीसरे विश्वयुद्ध, महाविनाश और भारत की भूमिका को लेकर कई चौंकाने वाली भविष्यवाणियां की हैं।
‘भविष्य मालिका’ की रहस्यमयी चेतावनी
16वीं सदी के संत अच्युतानंद दास ने जब ‘भविष्य मालिका’ की रचना की, तब शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि उनकी भविष्यवाणियों को एक दिन वैश्विक परिप्रेक्ष्य में गंभीरता से लिया जाएगा। इस ग्रंथ में ‘World War 3’ यानी तीसरे विश्वयुद्ध का उल्लेख है, जो कलियुग के अंतिम चरण में होगा। यह युद्ध 6 साल और 6 महीने तक चलेगा, और भारत इसमें केन्द्रीय भूमिका निभाएगा।
कब होगा तीसरा विश्वयुद्ध?
‘भविष्य मालिका’ के अनुसार, तीसरा विश्वयुद्ध तब शुरू होगा जब मानव जाति अत्यधिक भौतिकता में डूब चुकी होगी, और नैतिक पतन चरम पर होगा। यह युद्ध न केवल सैनिकों के बीच लड़ा जाएगा, बल्कि यह मानवता, संस्कृति और आस्था की भी परीक्षा होगी। इस युद्ध का आरंभ एक वैश्विक संकट से होगा, जो धीरे-धीरे विश्व के प्रमुख देशों को अपनी चपेट में ले लेगा।
भारत पर हमला करेंगे ये देश
इस ग्रंथ में यह उल्लेख है कि इस युद्ध के दौरान भारत पर चीन और कुछ इस्लामिक राष्ट्र मिलकर हमला करेंगे। यह संघर्ष केवल सीमित क्षेत्रीय युद्ध नहीं होगा, बल्कि पूर्ण पैमाने पर विनाशकारी युद्ध होगा। परंतु, ‘India’ न केवल इस संकट का डटकर सामना करेगा, बल्कि उसका नेतृत्व कौशल और सामरिक सूझबूझ इसे विजयी बनाएगी।
भारत की जीत और ‘विश्वगुरु’ बनने की भविष्यवाणी
‘भविष्य मालिका’ में यह भी कहा गया है कि भारत इस युद्ध के बाद एक नई भूमिका में उभरेगा। भारत न केवल विजयी रहेगा, बल्कि आध्यात्मिक और बौद्धिक नेतृत्व के माध्यम से ‘विश्वगुरु’ के रूप में पहचाना जाएगा। यह एक ऐसी अवस्था होगी जहां भारत की संस्कृति, वैदिक ज्ञान और संतों की शिक्षाएं पूरी दुनिया में स्वीकार की जाएंगी।
प्राकृतिक आपदाओं का तांडव
तीसरे विश्वयुद्ध के दौरान या इसके ठीक पहले, धरती पर भीषण प्राकृतिक आपदाएं आएंगी। किताब के अनुसार, लगातार भूकंपों से पृथ्वी की धुरी बदल जाएगी, जिससे जलवायु प्रणाली, मौसम और भौगोलिक स्थिति पूरी तरह से बदल जाएंगी। तूफान, बाढ़, और ज्वालामुखी जैसे विनाशकारी दृश्य आम होंगे।
2 सूरज? उल्कापिंड से आएगा महासंकट
‘भविष्य मालिका’ में एक और रोचक और भयावह उल्लेख है—आसमान में दो सूरज जैसे दिखने की घटना। वास्तव में वह एक विशाल उल्कापिंड होगा, जो बंगाल की खाड़ी में गिरेगा और उससे उत्पन्न हुई लहरें ओडिशा और आसपास के कई राज्यों को जलमग्न कर देंगी। यह एक ऐसा संकेत होगा, जो कलियुग के अंत का आरंभ बताएगा।
क्या इन भविष्यवाणियों पर विश्वास करना चाहिए?
हालांकि ये भविष्यवाणियां 500 साल पहले की गई थीं, परंतु इनमें से कई बिंदु आज की वैश्विक स्थिति से मेल खाते हैं। जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तनाव, तकनीकी युद्ध और सामरिक गठबंधन जैसी स्थितियां इन्हें और भी प्रासंगिक बनाती हैं। यह विषय केवल अंधविश्वास का नहीं, बल्कि आत्ममंथन और जागरूकता का है।